आकाश
सिटीपोस्टलाईव : जेडीयू ने अपने पार्टी के प्रमुख प्रवक्त्ता संजय सिंह का टिकेट काट दिया तो सबके जेहन में यहीं सवाल था कि आखिर कौन है वह सख्श जिसके लिए संजय सिंह को विधान परिषद् की सीट से बेदखल होना पड़ा .अब सबकुछ साफ़ हो गया है. जेडीयू के दोनों नए विधान पार्षद कोई समाजसेवी या फिर बड़े नेता नहीं बल्कि बड़े धनपशु हैं. यहीं कारण है कि जेडीयू के ईन दो उम्मीदवारों को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा राजनीतिक गलियारे में हो रही है. एक हैं रामेश्वर महतो, जो 2104 का लोकसभा चुनाव राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी से लड़ने की नाकाम कोशिश कर चुके हैं. सफलता नहीं मिली तो जेडीयू में शामिल हो गए. जनता दल यू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह कहते हैं कि ये योग्य नेता हैं, इन्हें जो भी जिम्मेदारी दी गई उन्होंने निभाया. रामेश्वर महतो की राजनीतिक हैसियत ज्यादा भले नहीं है लेकिन इनके पास माल (धन ) बहुत है. दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में करोड़ों के बंगले में रहनेवाले ये नेता जी चीनी-मिट्टी के कप प्लेट बनाने के कारखाने के मालिक हैं.दूसरे प्रत्याशी हैं खालिद अनवर जो अचानक राजनीति में कदम रखकर एक झटके में नीतीश कुमार के सबसे करीबी बने. खालिद अनवर ने जनता दल यू की सदस्यता महज 45 दिन पहले ही ली है. रविवार को पटना के गांधी मैदान में आयोजित ‘दीन बचाओ देश बचाओ’ रैली के संयोजक रहे खालिद अनवर ने पीएम मोदी पर जमकर निशाना साधा था. कहने को तो यह रैली कम गैर-राजनीतिक कफ्रेंस थी लेकिन रैली के समाप्त होते ही खालिद अनवर को उच्च सदन में बैठने का टिकट मिल गया. लालू यादव तो हमेशा अपनी सेवा में लगे लोगों को ही एमपी –एमएलऐ बनाते रहे हैं. कभी कबाब बनानेवाले को एमएलसी बना दिया तो कभी पत्थर तोड़नेवाली भगवतिया को एमपी बना दिया.इसबार भी उनकी पार्टी ने खुर्शिद मोहसिन को विधान परिषद् भेंज है जो लालू प्रसाद यादव के लिए साग सब्जी उगाते रहे हैं. इनका लालू परिवार से काफी पुराना संबंध है और उन्हें शायद इसी का इनाम मिला है. इसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के बेटे संतोष मांझी को उनके एनडीए छोड़कर महागठबंधन में शामिल होने की वजह से विधान परिषद् का टिकेट मिला है .इनका राजनीतिक अनुभव और योग्यता जगजाहिर है.