मंडल कारा सहरसा में बन्दी मरीजों की जिंदगी के साथ हो रहा है खिलवाड़
कम्पाउंडर के ईलाज से एक बन्दी मरीज की हालत बिगड़ी, सदर अस्पताल में भर्ती
मंडल कारा सहरसा में बन्दी मरीजों की जिंदगी के साथ हो रहा है खिलवाड़
सिटी पोस्ट लाइव : सहरसा मंडल कारा इनदिनों बन्दी मरीजों के लिए कब्रगाह बनता जा रहा है। एक बन्दी छविलाल यादव ने सनसनीखेज आरोप लगाते हुए कहा है कि मंडल कारा के अंदर डॉक्टर नही कंपाउंडर ईलाज करता है और उसके गलत ईलाज की वजह से उसकी हालत बेहद बिगड़ गयी। सहरसा मंडल कारा में एक मामले में विगत कई महीनों से बन्द तीस वर्षीय बन्दी छविलाल यादव की हालत बिगड़ने के बाद बीते रविवार को सहरसा मंडल कारा प्रशासन के द्वारा आनन-फानन में उसे बेहतर ईलाज के लिए सदर अस्पताल लाया गया। हैरत की बात यह भी है कि हथकड़ी लगाकर इस बन्दी का ईलाज चल रहा है। छविलाल ने जेल प्रशासन की लापरवाही और कम्पाउंडर के द्वारा गलत ढंग से ईलाज करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उसे पेशाब करते समय काफी जलन और दर्द होता था। कम्पाउंडर ने बिना कोई जांच-पड़ताल किये उसके पेशाब के रास्ते में गलत ढंग से कैथेटर लगाया। पेशाब के रास्ते में पाईप लगते ही उसकी हालत बिगड़ गयी।कैदी छबिलाल यादव खगड़िया जिला का रहने वाला है। हम सदर अस्पताल के आपातकालीन कक्ष का नजारा दिखा रहे हैं। देखिये बेड पर हथकड़ी हाथों में लगे तीस वर्षीय बन्दी मरीज छविलाल यादव को। इसके पेशाब के रास्ते से भारी मात्रा में खून निकल रहा है। पहली गलती की वजह से इसकी हालात बिगड़ी है और दूसरी गलती देखिए कि इसका ईलाज हथकड़ी लगाकर किया जा रहा है। डॉक्टरों के अनुसार इसकी स्थिति बेहद नाजुक बताई जा रही है। वहीं देखिये गंभीर हालत में बन्दी के हांथों में हथकड़ी जकड़ी हुई है और स्लाईन चढ़ाने से लेकर सभी तरह के ईलाज हो रहे हैं। जब मंडल कारा के कक्षपाल से इस बाबत हमने बात करने की कोशिश की, तो देखिए किस तरह कक्षपाल अपने आप को बचाते हुए हमें जबाब दे रहा है। इधर बन्दी खुद आरोप लगा रहा है कि जेल में सबकुछ ठीक-ठाक नहीं है। डॉक्टर के बदले हमारा ईलाज कम्पाउंडर ने किया और हमारी हालात मेरी बिगड़ गयी।सहरसा मंडल कारा की हालत अच्छी नहीं है। जब किसी भी बन्दी की हालत बद से बदतर हो जाती है, तब उसे अंतिम घड़ी में सदर अस्पताल ईलाज के लिए भेजा जाता है। अधिकतर बीमार कैदी तो असमय काल के गाल में समा जाते हैं। जो बच भी जाता है, उसे मंडल कारा का कम्पाउंडर रिसर्च करने में काल के गाल में पहुंचा देता है। ऐसी स्तिथि में जेल प्रशासन पर उंगली उठनी लाजमी है। वैसे मंडल कारा में एक डॉक्टर राकेश कुमार पदस्थापित हैं जो कान,नाक और गर्दन के डॉक्टर हैं। कारा में कोई फिजिशियन, सर्जन या फिर कोई विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं हैं। डॉक्टर राकेश कुमार भी रोज अपना हस्ताक्षर बनाकर कारा से निकल जाते हैं, चूंकि जिला मुख्यालय के पूरब बाजार में उनका बहुत बड़ा नर्सिंग होम है। इस मामले में मंडल कारा सहरसा प्रशासन, जिला प्रशासन, राज्य कारा प्रशासन को गम्भीर होना चाहिए। पहले भी ससमय ईलाज के अभाव में कई बन्दियों की मौत हो चुकी है लेकिन किसी की नींद नहीं खुली है। अगर छविलाल की मौत हो गयी तो इसकी सारी जिम्मेवारी राज्य सरकार की होगी।
सहरसा से पीटीएन न्यूज मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह की रिपोर्ट
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