दो माह के भीतर सभी पथों की मरम्मत एवं रखरखाव के कार्य शुरू की जाये- सीएम
सिटी पोस्ट लाइव : पथों की अनिवार्य मरम्मत एवं रख रखाव के आलोक में गुरुवार को ग्रामीण कार्य विभाग के सचिव द्वारा विभागीय अभियंताओं के साथ मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुतीकरण दी गयी। उल्लेखनीय है कि ग्रामीण सड़कें राज्य सरकार के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता रही हैं। इसी क्रम में ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा 73 हजार किलोमीटर की लंबाई में विभिन्न कार्यक्रमों के तहत ग्रामीण पथों का निर्माण कराया गया है और राज्य के लगभग 74 हजार बसावटों को सम्पर्कता प्रदान कर दी गयी है। अगले दो वर्षों के भीतर राज्य सरकार की योजना सभी चिन्हित ग्रामीण सड़कों के निर्माण को सुनिश्चित करने की है, जिससे न केवल 250 या अधिक आबादी वाले राज्य की सभी बसावटों को कम से कम एक पक्की सड़क मिल जायेगी बल्कि विशेष तौर पर चिन्हित किये गये सामाजिक, आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों के 4,647 टोलों को भी पक्की सड़क की सुविधा प्राप्त हो जायेगी।
जहां राज्य में अभूतपूर्व गति से ग्रामीण पथों का निमार्ण चल रहा है, वहीं मुख्यमंत्री की एक बड़ी चिन्ता इन पथों की मरम्मत एवं रखरखाव को सुनिश्चित करने की रही है। आज की तिथि में राज्य में लगभग 9,500 ग्रामीण पथ जिसकी कुल लंबाई लगभग 35 हजार किलोमीटर है, वैसे हैं जिनका निर्माण के पश्चात पंचवर्षीय रखरखाव समाप्त हो चुका है और इन सड़कों की स्थिति खराब होती जा रही है। जैसे-जैसे सड़कों का निर्माण पूरा हो रहा है और उनके पांच वर्षों के रखरखाव का समय बीत रहा है, वैसे-वैसे सड़कों की मरम्मत की जरूरत बढ़ती जा रही है। लगभग 1,400 सड़कें ऐसी हैं, जिनके रखरखाव की अवधी पांच साल पहले समाप्त हो चुकी है।
इन सड़कों की मरम्मत सुधार एवं रखरखाव की कोई सार्वभौमिक नीति नहीं है। कुछ सड़कों को श्रेणी-1 की सड़क मानकर मरम्मत एवं रखरखाव के लिए कार्य स्वीकृत किया जाता है किन्तु यह जरूरत के हिसाब से काफी कम है। ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा प्रस्तुतिकरण के क्रम में यह आकलन दिया गया कि वर्तमान में लगभग 35 हजार किलोमीटर की लंबाई में पथों की मरम्मत एवं रखरखाव की जरूरत है। अगले वर्ष से प्रतिवर्ष लगभग पांच हजार किलोमीटर की लंबाई में सड़कों की अतिरिक्त लंबाई की मरम्मत एवं रखरखाव की जरूरत होगी।
ग्रामीण कर्य विभाग द्वारा सड़कों की आयु का विश्लेषण करते हुए यह बताया गया कि यदि सभी पथों की मरम्मत एवं रखरखाव की अनिवार्य नीति बनायी जाय तो राज्य सरकार को लगभग 2600-3000 करोड़ रूपये की राशि की जरूरत होगी। मुख्यमंत्री ने इसकी सहमति देते हुए ग्रामीण कार्य विभाग को अविलम्ब नई अनिवार्य एवं सार्वभौमिक अनुरक्षण नीति राज्य मंत्रीपरिषद के समक्ष उपस्थापित करने का निर्देश दिया।
मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि विभाग न केवल सभी पथों का गुणवत्तापूर्ण निर्माण अगले दो वर्षों में पूरा करें बल्कि अगले एक-दो माह में सभी निर्मित पथों की अनिवार्य मरम्मत एवं रखरखाव के कार्य को शुरू करें ताकि गांवों के लिए बनायी गयी हर सड़क अच्छी स्थिति में रहे और एक भी सड़क मरम्मत एवं रखरखाव के अभाव में खराब ही न हो।