पीएमसीएच में लाश को ले जाने के लिए नहीं मिला एम्बुलेंस, महिलाओं ने उठाई अर्थी

City Post Live - Desk

पीएमसीएच का बेहाल है हाल, एम्बुलेंस नहीं मिलने पर महिलाओं ने खुद ही उठाई अर्थी

सिटी पोस्ट लाइव: . बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल  पीएमसीएच में ईलाज करवा रहे मरीजों की मौत हो जाए तो एम्बुलेंस का इंतज़ार करना बेकार है. एम्बुलेंस का इंतज़ार करने से बेहतर है कि आप खुद अपने चार लोगों को अस्पताल में बुलाइए और अपने मृत परिजन को कंधे पर लेकर जाइए. यहाँ आपको एम्बुलेंस नहीं  मिलने वाला. सोमवार को तो ऐसा ही नजारा यहाँ देखने को मिला. एक मरीज की मौत के बाद एक दिन परिजन एम्बुलेंस का इंतज़ार करते रहे. जब अस्पताल प्रबंधन से कोई जबाब नहीं मिला तो खुद परिजनों परिजनों  को  कंधे पर  लाश ले जाने का फैसला लेना पड़ा .लेकिन परेशानी ये थी कि इसके लिए चार लोग उपलब्ध नहीं थे. फिर क्या था महिलाओं ने ही  अर्थी को अपने कंधे पर उठा लिया . अस्पताल से अर्थी का भार लेकर  शहर की भीडभाड वाली सड़क से  गंगा घाट तक  पहुँचने का सफ़र एक महिला के लिए कितना कठिन हो सकता है ,इसका सहजता के साथ कोई भी अंदाजा लगा सकता है .

घटना सोमवार की है जहाँ  पीएमसीएच में वृद्धा (60 वर्ष) की सोमवार को मौत के हो गयी. मरीज़ की मौत के बाद परिजनों ने एम्बुलेंस की मांग की लेकिन अस्पताल प्रबंधन के द्वारा एम्बुलेंस नहीं उपलब्ध कराये जाने  पर  दो महिलाओं ने खुद अर्थी को कंधा देकर बांसघाट तक पहुंचाया. परिजनों का आरोप है कि, “शव बांस घाट तक ले जाने के लिए शव वाहन या एंबुलेंस की मांग अस्पताल  के कर्मियों से की गई थी, लेकिन किसी ने मदद नहीं की”. मरीजों के परिजनों  का कहना है कि प्राइवेट एम्बुलेंस मालिकों की मनमानी के कारण यह स्थिति पैदा हो गयी है. प्राइवेट एम्बुलेंस मालिकों के द्वारा अनाप शनाप  रकम की मांग की जाती है. और जब कोई इमरजेंसी हो तो बोली लगाईं जाती है. जो ज्यादा पैसा देगा उसी को एम्बुलेंस मिलेगा. सबसे ख़ास बात ये है कि अस्पताल अपना एम्बुलेंस सेवा लोगों को देता नहीं और मनमाना किराया वसूलने वाले एम्बुलेंस के खिलाफ कोई शिकायत सुनता नहीं.

सोमवार को भी पीड़ित परिवार के सदस्य जब  एंबुलेंस वालों के पास पहुंचे तो  400 की जगह उनसे चार हजार रुपए की मांग की गयी.वह देने में असमर्थ थे. थक-हार कर परिजनों  ने पीएमसीएच गेट नंबर दो के पास से अर्थी खरीदी, दो महिलाओं  और दो पुरुषों ने न शव को कंधे पर उठाकर  बांसघाट तक पहुँचाया. इस पुरे मामले पर पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. राजीव रंजन प्रसाद का कहना  है कि, “उन्हें ऐसी किसी प्रकार की घटना की उन्हें सूचना नहीं है. ऐसी बात थी तो परिवार के सदस्य को मुझे सूचना देनी चाहिए थी।.गरीबों के लिए नि:शुल्क व्यवस्था है. ऐसे इसकी छानबीन कराएंगे.” हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि  पीएमसीएच में एम्बुलेंस  ना मिलने पर परिजन को ऐसा कदम उठाना पड़ा है. इस से पहले भी पीएमसीएच में कई घटनाएं हो चुकी है. और हर बार अस्पताल प्रबंधक का यही कहना होता है कि, उन्हें इसकी खबर नहीं थी.दरअसल ,अस्पताल प्रबंधन ने एम्बुलेंस को कमाई का एक बड़ा जरिया बना लिया है. निजी एम्बुलेंस को मनमाना किराया वसूलने की छोट देकर अस्पताल प्रबंधन के लोग अपनी जेब भी भर रहे हैं.जब कोई मरीज मर गया ईलाज के दौरान तो, खुद अस्पताल प्रबंधन को एम्बुलेंस की व्यवस्था करनी चाहिए .मरीज कहाँ कहाँ किस अधिकारी से मिलेगा एम्बुलेंस के लिए .

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