मुस्लिम समाज को भय से मुक्ति दिलाये केंद्र सरकार .

City Post Live

सिटीपोस्टलाईव :राजधानी के गांधी मैदान में इमारत ए शरिया की तरफ से आयोजित  ‘दीन बचाओ-देश बचाओ’ कॉन्फ्रेंस की अध्यक्षता कर रहे मौलाना मोहम्मद वली रहमानी ने कहा कि  पिछले कुछ सालों में संविधान के साथ साथ मुसलमानों को मिले अधिकार को कम करने की कोशिश और शरीयत से छेड़छाड़ को लेकर इस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया है और इसी वजह से इस कॉन्फ्रेंस का नाम ‘दीन बचाओ-देश बचाओ’ दिया गया.

मौलाना उमरेन महफूज रहमानी ने कहा कि अररिया, फूलपुर और गोरखपुर में जनता ने केंद्र को तीन तलाक  दे दिया है. उन्होंने कहा कि कौम कमजोरों की हिफाजत के लिए आगे आये. इस मौके पर अबू तालिब रहमानी ने कहा कि जिस का पिता मजबूत होता है उसके वंशज भी मजबूत होते है. उन्होंने  कहा कि 5 लाख मुस्लिम महिलाओं ने हस्ताक्षर कर केंद्र को सौंपा फिर भी तीन तलाक बिल को लाकर सारी मसाइल के हल निकालने का दावा किया जा रहा. हमे दीन और देश दोनों को बचाना है.

बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने कहा कि ‘हमने चार साल इंतजार किया और सोचा कि बीजेपी संविधान के तहत देश चलाना सीख लेगी. मुसलमानों के पर्सनल लॉ पर हमला किया जा रहा है और हमें अपने लोगों और देशवासियों को बताना पड़ रहा है कि देश के साथ-साथ इस्लाम पर भी खतरा है.’ मुस्लिम नेताओं ने आरोप लगाया कि राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए हमारे धर्म और शरीयत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. उन्होंने  शरीयत में हस्तक्षेप के हर प्रयास की निंदा करते हुए कहा कि  हमारी मांग है कि सरकार अपने रवैये में बदलाव करे. भीड़ द्वारा हिंसा और कुछ बेलगाम नेताओं के बयान के द्वारा देश के मुसलमानों, दलितों और शोषित वर्ग में भय पैदा करने की कोशिश की जा रही है. मुस्लिम नेताओं ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि एक ओर सरकार महिलाओं की सुरक्षा की बात करती है और दूसरी ओर देश में मासूम बच्चियां भी सुरक्षित नहीं है. उत्तरप्रदेश और जम्मू में हुई घटना की मुस्लिम संगठन निंदा करता है और इस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हमारी मांग है कि सरकार अपराधियों पर ऐसी सख्ती बरते कि आगे से ऐसी कोई घटना दोबारा नहीं हो.

‘दीन बचाओ-देश बचाओ’ कॉन्फ्रेंस के मद्देनजर गांधी मैदान में हुए करीब 5 हजार पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई थी.  सुरक्षा व्यवस्था को देखते गांधी मैदान में जगह जगह महिला पुलिस अधिकारियों की भी तैनाती की गई थी. शहर के कई चौक-चौराहों पर भी पुलिस बलों की तैनाती की गई थी और  300 दंडाधिकारी और 350 पुलिस अधिकारियों तैनात किया गया था . 150 सीसीटीवी कैमरे के माध्यम से  पूरे कार्यक्रम की निगरानी की जा रही थी.
कॉन्फ्रेंस के कारण प्रशासन ने कई मार्गों पर ट्रैफिक रुट में बदलाव किया था.

पटना  के गाँधी मैदान में “ दीन बचाओ-देश बचाओ “ रैली की शुरुवात एक बजे हो चुकी थी..तेज धुप और गर्मी के वावजूद हजारों की तादाद में लोग पटना के गाँधी मैदान में पहुँच चुके थे. सबके सर पर मुसलमानी टोपी तो हाथों में तिरंगा था..युवाओं में गजब का उत्साह है और बूढ़े बुजुर्ग भी उनके कदम से कदम मिलाने की कोशिश करते दिख रहे थे..

गांधी मैदान में 50 हजार से ज्यादा लोग 10 बजे सुबह तक ही पहुँच चुके थे और रैली में हर जिलों से लोगों के आने का सिलसिला जारी है.रैली अब शुरू होनेवाली है .रैली के दौरान कोई अप्रिय घटना ना घटे या फिर रैली में आये लोगों को कोई परेशानी न हो शहर के हर चौक चौराहे से लेकर रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर सुरक्षाकर्मी तैनात हैं.गाँधी मैदान में रैली में आनेवाले लोगों के लिए शरबत और पानी की व्यवस्था सामाजिक संगठनों  की तरफ से की गई है.रैली की पूर्व संध्या पर पुलिस और प्रशासन के तमाम बड़े अधिकारियों ने गांधी मैदान में सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया .गांधी मैदान में अम्बुलेंस तैनात हैं और पुलिस चौकस है.

  गौरतलब है कि तीन  तलाक जैसी प्रथा पर रोक लग जाने के बाद नाराज मुस्लिम पर्सनल बोर्ड ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी कर ली है. इस्लाम समुदाय के बड़े संगठन अपने इसी अभियान के तहत आज  पटना में बड़ी रैली का आयोजन किया था ..इस रैली में  लाखों मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भाग लिया .  कई मौलवी और समुदायों ने भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर आरोप लगाया  कि मुसलमान और देश बीजेपी के इस शासन काल  में सुरक्षित नहीं है. एआईएमपीएलबी के महासचिव मौलानी वली रहमानी ने कहा कि हमने चार साल इंतजार किया, यह सोचकर कि बीजेपी संविधान के तहत देश चलाना सीख लेगी. हमारे पर्सनल लॉ पर हमला हो रहा है. हमें अपने देशवासियों को बताना पड़ रहा है कि देश के साथ-साथ इस्लाम पर भी खतरा है. वहीं इमारत शरीया के जनरल सेक्रेटरी मौलाना अनिसुर रहमान कासमी का कहना है कि इस रैली के पीछे किसी विपक्षी पार्टी का हाथ नहीं है. हां, विपक्ष के नेता इस रैली में मौजूद हो सकते हैं, लेकिन अब समय है कि हम बोलेंगे और राजनीतिक पार्टी के नेता सुनेंगे.

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