कोसी बाढ़: राहत-बचाव बनाम महालूट, सरकारी सेवक ,ठेकेदार बन जाते हैं करोड़पति

City Post Live - Desk

कोसी बाढ़ से बचाव के नाम पर सालाना महालूट, बनते हैं कई करोड़पति

सिटी पोस्ट लाइव, स्पेशल : बिहार में सरकार ने बाढ़ की अवधि 15 मई से 31 अक्टूबर तय कर रखी है। कोसी के पूर्वी और पश्चमी तटबंध के भीतर बसे सहरसा और सुपौल जिले के 450 से अधिक गाँव हर साल बाढ़ की तबाही झेलने को विवश रहती है। यह सिलसिला 1963 से जारी है,जबसे तटबंध का निर्माण हुआ है। सरकार ने जो बाढ़ की अवधि तय की है वह लोगों की सुरक्षा की अवधि नहीं बल्कि सालाना महालूट की अवधि है। सरकार दो तरह से बाढ़ के मद्देनजर काम करवाती है। एक बाढ़ से पूर्व निरोधात्मक कार्य दूसरा बाढ़ के समय फ्लड फाइटिंग के नाम पर काम। लेकिन अधिकतर काम फ्लड फाइटिंग के नाम पर होते हैं जिसका को ऑडिट नहीं होता है। बाढ़ से पूर्व निरोधात्मक काम दिख जाते हैं, इसलिए वे काम ना के बराबर होते हैं। हर साल बाढ़ के इस मौसम को महालूट का मौसम माना जाता है। सहरसा के नवहट्टा, सिमरी, बख्तियारपुर, महिषी, सलखुआ और बनमा इटहरी प्रखंड हर साल बाढ़ का दंश झेलता।कोसी बाढ़ से बचाव के नाम पर सालाना महालूट, बनते हैं कई करोड़पतिहजारों की आबादी बेघर होती है और करोड़ों का नुकसान होता है। इंसानी जानें और मवेशी की जानें अलग से जाती हैं। हम इस रपट में आपको महज सहरसा के एक इलाके नवहट्टा की तस्वीर बता रहे हैं, जहां पर्कोपाईंन, बोल्डर क्रेटिंग, नायलॉन क्रेटिंग, मिट्टी क्रेटिंग और बेम्बो क्रेटिंग के नाम पर लूट मची है। पिछले साल इस इलाके की लगभग 70 से 80 हजार की आबादी बाढ़ से प्रभावित हुई थी। कुल-मिलाकर नवहट्टा के 7 पंचायत बाढ़ से प्रभावित हुई थी जिसमें केदली, असई, रामपुर, हाटी, मुरली, मठाई, छतवन बगहाखाल, नौला, रसलपुर, बिरजाईन, राम नगर आदि ज्यादे प्रभावित इलाके रहे थे। इस प्रखंड के अंदर टोटल 17 स्पर हैं जिसमें 4 को मरम्मती के लिए सलेक्ट किया गया है जिसपर 120.42 करोड़ का काम करना है।अभी कोसी में पानी पूरी तरह से आया नहीं है, इसलिए काम की गति मन्थर है। जैसे ही कोसी का पानी बढ़ेगा, वैसे ही काम में तेजी आएगी। असली महालूट का खेल तभी शुरू होगा। पूर्वी कोसी तटबंध की लंबाई 125 किलोमीटर है। आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि हर साल लूट का ग्राफ कितना बड़ा होगा। कोसी बाढ़ का इंतजार सरकार, मंत्री, अधिकारी, ठेकेदार और बिचौलिए सभी को रहता है। इस मरम्मती को लेकर इलाके के लोगों का कहना है कि स्पर, स्टर्ड और तटबंध मरम्मती के नाम पर सिर्फ लूट होती है। तटबंध निर्माण के समय से अभी तक मरम्मती के नाम पर जितने खर्च किये गए हैं, उतने में संगमर्मर का तटबंध बन जाता।जहां तक अधिकारी का सवाल है तो विभागीय अधिकारी कहते हैं की वे लगातार तटबंध की सुरक्षा के लिए मोनेटरिंग करते रहते हैं। पूर्वी कोसी तटबंध पूरी तरह से सुरक्षित है। लेकिन हम आपको बताना चाहते हैं कि वर्ष 2012 में ही पूर्वी कोसी तटबंध की मरम्मतिऔर पक्कीकरण का काम पूरा ही जाना चाहिए लेकिन अभी तक पूर्वी कोसी तटबंध का पक्कीकरण नहीं हुआ है। इस मद में सरकार ने 431 करोड़ रुपये खर्च किये हैं। यानि ये रुपये किन-किन लोगों ने लपके हैं,यह जांच का विषय है। कहते हैं कि हमाम में सभी नंगे हैं लेकिन कोसी बाढ़ के नाम पर हर साल लूट का नंगा नाच होता है।

सहरसा से संकेत सिंह की रिपोर्ट

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