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पटना पुलिस से जरा बच के, उसके बड़े से बड़े अपराध की मैक्सिमम सजा निलंबन है

सीएम की पहल पर आज तीन महीने बाद एक शब्जी बेचनेवाला नाबालिग बच्चा जेल से हुआ है रिहा

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सिटी पोस्ट लाईव : पटना के शब्जी बेचानेवालों, ठेला खोमचावालों,पण सिगरेट, बीडी बेचने वालों सावधान ! पटना पुलिस का अधिकारी या सिपाही आपसे कुछ मांगे तो बिना सवाल –जबाब के उसे शब्जी, पण बीडी सिगरेट दे दीजिये. पैसा मांगने की जगह हाथ जोड़ लीजिये .अगर वो पैसा दे भी तो हाथ जोड़ लीजिये. कहीं शरीफ बनने का नाटक कर रहे पुलिसवाले को गुस्सा आ गया तो आपको जानी पड़ सकती है जेल. पटना पुलिस मुफ्तखोर हो गई है. आज तीन महीने बाद एक शब्जी बेचनेवाला नाबालिग बच्चा जेल से लौटा है. उसका सन्देश यहीं है आपके लिए. इस बच्चे का भी कसूर बस इतना भर था कि उसने मुफ्त में एक पुलिसवाले को शब्जी देने से मना कर दिया था. फिर क्या था पुरे थाने  की पुलिस उसके घर धमक आई. उसे उठा ले गई थाने . बना दिया उसे एक शातिर बदमाश और खतरनाक अपराधिक वारदातों का शाजिषकर्ता .इतना ही नहीं, उसके घर से दिखा दी हथियार और चोरी की मोटर साइकिल की बरामदगी. तीन महीने बाद वो छूट गया है . निर्दोष साबित हुआ है .लेकिन आप सभी इतने भाग्यशाली नहीं जितना ये बच्चा है .इस बच्चे के मामले पर सीएम ने संज्ञान ले लिया तब जाकर इसकी जन बची.  अआप खुद ही सोचिये, क्या सीएम तक पहुँच जायेगें सभी मामले ? पहुँच भी गए तो क्या सबके ऊपर कारवाई संभव है ? नहीं, इसलिए आप चेत जाइए और ईन मुफ्तखोर पुलिसवालों से अपने को बचा लीजिये .

सीएम के आदेश के वावजूद क्या बिगाड़ा उन पुलिसवालों का ? क्या हुई कारवाई ? पुलिसवालों का अपराध जानना चाहते हैं . सबसे पहले उन्होंने वसूली करने का अपराध किया . फिर एक नाबालिग को बालिग़ साबित करने का अपराध किया. इतना ही नहीं एक मसूं नाबालिग को शातिर बदमाश साबित कर दिया . इतने पर ही नहीं रुके ये मुफ्तखोर पुलिसवाले. बच्चे के घर खुद अवैध हथियार रखकर उसे आर्म्स एक्ट में फंसा दिया . चोरी की बाईक उसके घर से बरामदगी दिखा दी . इतने सारे गंभीर अपराध किये पुलिसवालों ने. लेकिन सजा क्या हुई ? थाने से तबादला और निलंबन . और आगे से पटना में इनकी पोस्टिंग नहीं करने का फरमान जारी हुआ . क्या ये सजा काफी है ? क्या पुलिसवालों के खिलाफ वसूली का, एक नाबालिग को बालिग साबित कर झूठे मुकदमे में जेल भेंज देने के लिए 420 और षडयंत्र रचने का, खुद उसके घर हथियार रखकर उसे आर्म्स एक्ट में फंसा देने के लिए ईन पुलिसवालों के खिलाफ आर्म्स एक्ट का मुक़दमा दर्ज नहीं होनी चाहिए . 10 रुपये वसूलने की सजा भी निलंबन और किसी निर्दोष को शाजिष कर, उसे खूंखार अपराधी साबित कर जेल भेंज देने की सजा भी निलंबन . वाह रे पटना पुलिस , कमाल का तेरा कानून और कमाल का न्याय है .

एक नजर पुरे मामले पर डाल ही लीजिये तब आपको पता चलेगा कि क्या अन्याय पुलिसवालों ने किया और उसकी उन्हें क्या सजा मिली .पटना की  मुफ्तखोर पुलिस को फ्री में सब्‍जी नहीं देने पर खाकी को गुस्‍सा क्‍या आया, 14 साल का एक निर्दोष नाबलिग डकैती का आरोपी बना जेल भेज दिया. पुलिस ने इसके पहले उसे पांच दिनों तक थाना हाजत में बंद रखा तथा उसके साथ मारपीट की. नाबालिग के पिता सिटी एसपी से लेकर डीजीपी तक अपनी गुहार लेकर घूमते रहे, लेकिन किसी ने नहीं सुनी. इस बीच मामला मीडिया कर नजर में आ गया. जब यह खबर मीडिया में आ गई, तब इसपर मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार की भी नजर पड़ी. उन्‍होंने मामले की जांच का आदेश दे दिया. जांच में नाबालिग को निर्दोष पाए जाने पर पटना के अगमकुआं थाना के दोषी पुलिसकमर्मियों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई हुई. इसके बाद गुरुवार को तीन महीने तक बेवजह जेल व रिमांड होम में रहने के बाद नाबालिग आज  रिहा हो गया. अब आप खुद तय कीजिये पुलिस का अपराध कितना बड़ा था और उसे सजा कितनी छोटी मिली है .

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