अब अरुण जेटली से मिलने दिल्ली जा रहे हैं नीतीश कुमार, सियासी हलकों में अटकलें तेज

City Post Live

सिटी पोस्ट लाईव : पिछले तीन दिनों से बीमार  बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सेहत में अब सुधार आने की खबर है. 6 जुलाई को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली में वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात कर ताजा राजनीतिक हालात पर चर्चा करेगें. सियासी गलियारे में चर्चा है कि अमित शाह के पटना आने के पहले नीतीश कुमार सीट शेयरिंग को लेकर अरुण जेतली से बात करेगें . वैसे आधिकारिक तौर पर मुलाक़ात की वजह  किडनी ट्रांसप्लांट के बाद रेस्ट कर रहे जेटली से मिल कर उनका  हाल-चाल लेना ही बताया जा रहा है. गौरतलब है कि 12 जुलाई को अमित शाह भी पटना आ रहे हैं. हालांकि वो ज्यादा समय पार्टी को ही देगें और केवल एक औपचारिक मुलाक़ात  नीतीश कुमार से करेगें. इसमे सीटों के तालमेल को लेकर बातचीत होने की संभावना बहुत कम है. दरअसल, बीजेपी सीटों के शेयरिंग के मामले को आखिरी समय तक टालना चाहती है.

केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह से लेकर सीट शेयरिंग के लिए नीतीश कुमार ने कई दफे बीजेपी से बात करने की कोशिश की लेकिन बीजेपी ने उन्हें अपने संगठन महामंत्री रामलाल या भूपेंद्र यादव से संपर्क करने को कह दिया जिसके लिए नीतीश इसके लिए राजी नहीं थे. लेकिन इस बीच सीटों के तालमेल को लेकर बढ़ती खींचतान के बाद अमित शाह नीतीश कुमार से अपने बिहार दौरे के दौरान मिलेगें .नीतीश के खास सलाहकार आर सी पी सिंह और ललन सिंह ने दिल्ली जाकर बीजेपी के महामंत्री भूपेंद्र यादव से मुलाकात कर चुके हैं. सियासी हलके में हो रही चर्चाओं के मुताबिक इस बैठक में सीट शेयरिंग पर शूरूआती चर्चा हुई थी. लेकिन आखिरी फैसला तो अमित शाह को करना है.

बता दें कि 2019 के आम चुनावो के लिए सीटों के बंटवारे को लेकर घमासान छिड़ गया है. जनता दल यूनाइटेड द्वारा 25 सीटों पर दावा ठोंका है. बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं ऐसे में सहयोगी दलों के बढ़ते दबाव से एनडीए में टूट होने की सम्भावना पैदा हो सकती है. एनडीए में बिहार की तीन पार्टियां शामिल हैं. इनमे जदयू, एलजेपी और आरएलएसपी शामिल हैं.

बीजेपी की मुश्किल यह है कि उसके पास जेडीयू को देने के लिए ज्यादा सीटें नहीं हैं. जेडीयू  25 सीटें मांग रहा है . जबकि बीजेपी और उसके बाकी दो सहयोगी दल एलजेपी और रालोसपा के 32 सिटिंग सांसद हैं. ऐसे में बीजेपी सहयोगी दलों के सिटिंग सांसदों का टिकेट काटेगी तो भी हंगामा तय है और अपने सांसदों को सीट से बेदखल करेगी तो भी बगावत होना है. अपने सभी सांसदों को बचाते हुए सहयोगी दलों को संतुष्ट करना एक बड़ी चुनौती है .अरुण जेटली और अमित शाह के मुलाकात के बाद एनडीए कितना मजबूत रह पायेगा.

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