बुराड़ी कांड : फंदे पर लटकने की करते थे प्रैक्टिस, मृत पिता के रूह से होती थी बातें

City Post Live - Desk

बुराड़ी कांड : फंदे पर लटकने की करते थे प्रैक्टिस, मृत पिता के रूह से होती थी बातें

सिटी पोस्ट लाइव : दिल्ली के बुराड़ी इलाके में एक ही परिवार के 11 सदस्यों की मौत के मामले जिस तरह से रोजाना नए-नए खुलासे हो रही हैं, उससे यह मामला और भी उलझता जा रहा है. अब जो खुलासा हुआ है उसे जानकार आप भी हैरान हो जायेंगे. दरअसल यह खुलासा पूरे मामले का मास्टरमाइंड बताए जाने वाले मृतक ललित की डायरी से हुई है. ताजा खुलासा मौत की रिहर्सल से जुड़ा है, जिसके तहत यह पता चला है कि मृतक भाटिया परिवार ने 30 जून की रात से पहले 6 दिन तक फंदे पर लटकने का अभ्यास किया था. ललित द्वारा 30 जून को लिखी गई.

डायरी से इस बात का खुलासा हुआ है कि परिवार ने मौत के फंदे पर लटकने से पहले 6 दिनों तक इसकी प्रैक्टिस की. इस दौरान वो इसलिए बच जाते थे क्योंकि प्रैक्टिस के दौरान परिवार के लोगों के हाथ खुले रहते थे. हालांकि डायरी में लिखी बात के अनुसार सातवें दिन यानी 30 जून की रात को सिर्फ ललित और उसकी पत्नी टीना के हाथ खुले थे और बाकि सबके हांथ बंधे हुए थे. डायरी के अनुसार ललित ने घर वालों को ये यकीन दिला रखा था कि 10 साल पहले मर चुके पिता भोपाल सिंह राठी अब भी घर आते हैं और उससे बाते करते हैं.

डायरी में लिखी गयी बातों के अनुसार ललित के पिता का निर्देश था कि भगवान का रास्ता, जाल पर 9 बंदे हों, बेबी अलग स्टूल पर, मां अलग, बंधन बांधने का काम एक व्यक्ति करे, मंदिर के पास स्टूल पर बेबी चढ़ेगी, मां रोटी खिलाएगी, मुंह में गीला कपड़ा रखना है, हाथ बंधे होंगे और मुंह पर पट्टी, कानों को बंद रखने के लिए रूई डाल लेना, ललित छड़ी से इशारा करे, रात एक बजे क्रिया होगी, शनिवार और रविवार की दरम्यानी रात क्रिया होगी, कप में पानी रखना. जब पानी रंग बदलेगा तो मैं प्रकट होऊंगा और तुम सबको बचा लूंगा.

रोज की तरह पूजा-हवन के बाद  ललित ने कहा, ‘जब आप मोक्ष प्राप्ति के लिए हवन करोगे तो उसके बाद आप अपने कानों में रुई और मुंह और आंख पर कपड़ा बांधोगे, ताकि एक-दूसरे को देख ना सको और न ही चीख सुन सको. अंतिम समय में आखिरी इच्छा की पूर्ती के वक्त आसमान हिलेगा, धरती कांपेगी, उस वक्त तुम घबराना मत. मंत्रों का जाप बढ़ा देना. जब पानी का रंग बदलेगा तब नीचे उतर जाना, एक दूसरे की नीचे उतरने में मदद करना. तुम मरोगे नहीं, बल्कि कुछ बड़ा हासिल करोगे. जब आप गले में फंदे डालकर क्रिया करोगे तो मैं आपको साक्षात दर्शन दूंगा और मैं आपको आकर बचा लूंगा. आपकी जो आत्मा है वो बाहर निकलेगी और फिर वापस आ जाएगी. तब आपको मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी.’

बता दें सिर्फ 10 लोगों के लिए चुन्नी लटकाई गई, क्योंकि निर्देश के मुताबिक बेब्बे यानी नारायणी देवी को चूंकि चलने में दिक्कत थी, इसलिए उन्हें वट तपस्या अपने कमरे में ही करनी थी. 8 लोगों को तैयार करने के बाद ललित और टीना बेब्बे के कमरे में गए. बेब्बे के फंदे के लिए वो बेल्ट का इस्तेमाल किया. जिसके बाद घर के अंदर इस रात की पहली मौत बेब्बे की हो गई. बेब्बे की मौत के बाद ललित और टीना वापस उसी हॉल में पहुंचे.

इसके बाद ललित और टीना लगभग एक साथ आठों के पैरों के नीचे से स्टूल और कुर्सियां खिसका देते हैं. चूंकि सभी के मुंह पर टेप और रुमाल बंधे थे कोई चीख भी नहीं पाया. हाथ बंधे थे इसलिए फंदा नहीं खोल पाया और मुश्किल से 2 मिनट के अंदर सभी मारे गए. अब राठी परिवार के 11 में से सिर्फ 2 सदस्य बचे थे टीना और ललित. इसके बाद ये दोनों भी उसी फंदे से झूल गए.

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