सिटी पोस्ट लाईव : बिहार में शराबबंदी के वावजूद शराब का अवैध कारोबार जारी है. नशे के कारोबारियों ने शराबबंदी के बाद वैकल्पिक नशा अफीम, चरस, और गांजा के बाज़ार को बहुत तेजी से आगे बढ़ा दिया है. बिहार पुलिस के आंकड़ों के अनुसार शराबबंदी लागू होने के बाद से गांजा, चरस और अफीम के साथ-साथ हेरोइन का कारोबार बहुत तेजी से फ़ैल रहा है. बड़े पैमाने पर इसकी बरामदगी इस बात का प्रमाण है. नशीले पदार्थों की उपज, तस्करी और खरीद-बिक्री के खिलाफ कार्रवाई करने की जिम्मेवारी संभाल रही केंद्र सरकार की एजेंसियों की चुनौतियां बढ़ गई हैं.प्रतिदिन राज्य के किसी न किसी स्थान से गांजे की किसी बड़ी खेप की बरामद हो रही है.आर्थिक अपराध इकाई के अपर पुलिस महानिदेशक जितेंद्र सिंह गंगवार के अनुसार नशीले पदार्थों की तस्करी को लेकर वर्ष 2017 में कुल 531 मामले दर्ज किए गए हैं. मौजूदा वर्ष के पहले पांच महीनों में 168 केस दर्ज किए जा चुके हैं.
बिहार में नशीले पदार्थों की हो रही लगातार बरामदगी के कारण राज्य के सभी 38 जिलों में ऐसे गोदामों का निर्माण कराया जा रहा है. यहीं पर बरामद नशीले पदार्थों को जब्त करके तबतक सुरक्षित रखा जायेगा जबतक कि संबंधित मामले का निपटारा अदालत से नहीं हो जाता है. शराबबंदी से पहले राज्य में नशीले पदार्थों की तस्करी का आंकड़ा कभी सौ की संख्या भी पार नहीं करता था लेकिन अब सरकार को इसे रखने के लिए अलग से गोदाम बनाने की जरूरत महसूस होने लगी है. बिहार में नशीले पदार्थों की चोरी-छुपे खेती कोई नई बात नहीं है. राज्य के सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिले गया के बाराचट्टी प्रखंड के चार पंचायतों में पिछले कई दशक से नक्सलियों के संरक्षण में अफीम की खेती होती रही है. ऐसा नहीं है कि यहां होने वाली अफीम की खेती की जानकारी सरकार और प्रशासन को नहीं है. जैसे-जैसे इसे रोकने की कवायद तेज की गई खेती का रकबा बढ़ता गया. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की मानें तो इस साल भी बाराचट्टी के चार प्रखंडों की पांच सौ एकड़ से भी अधिक भूमि पर अफीम के पौधे लगाए गए थे.
पिछले दिनों बाराचट्टी होकर गुजरने वाली जीटी रोड पर बने ढाबों से अफीम और डोडा चूड़ा की हो रही बिक्री की खबरों ने न केवल बिहार पुलिस की बल्कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और खुफिया राजस्व निदेशालय जैसी केंद्रीय एजेंसियों की नींद हराम कर दी है. नोरकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की टीम ने गया के बाराचट्टी प्रखंड के जीटी रोड पर कई ऐसे ढाबों पर छापेमारी कर लाखों रुपये कीमत के अफीम, चरस और डोडा चूड़ा बरामद किए हैं. कई ढाबा संचालकों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई है. लेकिन इस कारोबार में इतना ज्यादा मुनाफा है कि इसे छोड़ने को नशा के कारोबारी तैयार नहीं हैं.
जीटी रोड पर नशे के ढाबे द्वारा मदहोशी के पुडिया आज भी बेच जा रहे हैं. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के सूत्रों के अनुसार गया के बाराचट्टी प्रखंड के चार पंचायत भलुआ, जयगीर, बूमेर और धनगई अफीम की खेती के लिए कुख्यात हो चुके हैं. विगत फरवरी-मार्च में ब्यूरो की टीम ने स्थानीय प्रशासन के सहयोग से बाराचट्टी के उपरोक्त चारों पंचायतों में 224 एकड़ में फैली अफीम की खेती को नष्ट किया गया था. ब्यूरो का मानना है कि करीब इतने ही रकबे से स्थानीय लोग अफीम की फसल काटने में सफल भी हुए हैं. ब्यूरो के अधिकारी भी मानते हैं कि गया के बाराचट्टी में होने वाली अफीम की खेती को रोकना मुश्किल हो गया है. सबसे ज्यादा प्रभावित गरीब हैं जो भूख को मारने के लिए अफीम की खुराक ले रहे हैं. गौरतलब है कि इसके सेवन से भूक मह्सुश नहीं होती है.
डीआरआइ की टीम ने पिछले साल वैशाली में एक ऐसी फैक्टरी का उद्भेदन किया था. यहाँ अफीम से विभिन्न तरह के नशीले पदार्थों का निर्माण किया जा रहा था. मौके से डीआरआइ के अधिकारियों ने अफीम को परिष्कृत कर उससे अन्य नशीले पदार्थ तैयार करने वाले कई उपकरण भी बरामद किए थे. शराबबंदी के बाद बिहार के कई जिले गांजा तस्करों के चारागाह के रूप में सामने आए हैं. इनमें राजधानी पटना समेत भोजपुर, सारण और वैशाली शामिल हैं. इन चारों जिलों से ही गांजे की सर्वाधिक बरामदगी की हुई है. बिहार पुलिस के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2017 में राज्य भर से नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई और खुफिया राजस्व निदेशालय की टीमों ने अलग-अलग कार्रवाई करके 16 हजार, 663 किलोग्राम गांजा बरामद किया था. जबकि मौजूदा वर्ष के मई तक ही उपरोक्त तीनों एजेंसियों ने मिलकर 12 हजार, 42 किलोग्राम गांजा बरामद किया है. गांजे की यह खेप उत्तर-पूर्व के राज्यों, आंध्रप्रदेश और ओडिशा से बिहार के विभिन्न जिलों में पहुंच रही है.
शराबबंदी से पहले बिहार में हेरोइन और चरस का प्रचलन नहीं के बराबर था.लेकिन पिछले दो वर्षों में चरस और हेरोइन की बरामदगी ये साबित करने के लिए काफी है कि बिहार में नशे का बाजार तेजी से फल-फूलने लगा है. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2014 में महज 2.020 किलोग्राम चरस बरामद हुआ था .लेकिन वर्ष 2015 में 31.500 किलो चरस बरामद हुआ था. लेकिन, वर्ष 2016 में पूर्ण शराबबंदी लागू होने के बाद चरस का प्रचलन बढऩे लगा.ब्यूरो ने वर्ष 2016 में 114.05 किलोग्राम तथा वर्ष 2017 में 130.03 किलोग्राम चरस बरामद किए हैं. हेरोइन की खपत भी बहुत बढ़ गई है. ब्यूरो वर्ष 2017 में 1.900 किलोग्राम हेरोइन की बरामदगी की थी लेकिन वर्ष 2018 के पहले ही पांच महीनों में बिहार के विभिन्न स्थानों से 3.2 किलोग्राम हेरोइन बरामद की जा चुकी है. कुछ ऐसा ही हाल नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे बिहार के सात सीमावर्ती जिलों का भी है. बिहार के रास्ते नशीले पदार्थों की खेप नेपाल भेजी जा रही है.