सिटी पोस्ट लाईव : बिहारवासियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है. स्वामी सहजानंद सरस्वती से जुड़े ऐतिहासिक दस्तावेज अब वापस बिहार आ गए हैं. अमेरिका से दस्तावेजों के वापसी को लेकर एक समारोह का आयोजन आज रविवार 1 जुलाई को किया गया . इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने आये बिहार के उप-मुख्यमंत्री सुशिल कुमार मोदी ने स्वामी जी के नाम पर भव्य स्मारक व शोध संस्थान बनाने में भरपूर सरकारी सहयोग का वायदा कर दिया . ए.एन सिन्हा इन्स्टीच्यूट में आयोजित किये गए ‘स्वामी सहजानंद सरस्वती से संबंधित ऐतिहासिक दस्तावेजों की पुनः वापसी समारोह’ में बताया गया कि स्वामी जी से जुड़े ऐतिहासिक दस्तावेज 1950-60 के दशक में अमेरिका चले गये थे. अमेरिका गये दस्तावेजों को करीब 60 वर्ष तक वहां की वर्जीनिया यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर वाल्टर हाउजर ने संरक्षित व सुरक्षित कर शोध किया है.
दस्तावेजों की पुनः बिहार वापस लाने के लिए सुशिल मोदी ने सीताराम ट्रस्ट के सचिव डा. सत्यजीत सिंह व रिसर्चर कैलाश चन्द्र झा की सराहना करते हुए कहा कि इन दस्तावेजों का बेहतर संरक्षण व प्रदर्शन होना चाहिए. विगत सौ साल में बाबू कुंवर सिंह के बाद जो बड़ा नाम दिखाई पड़ता है वह स्वामी सहजानंद सरस्वती का ही है. उन्होंने कहा कि बिहार राज्य अभिलेखागार निदेशालय द्वारा पांच खंड में ‘किसान आंदोलन इन द रिकार्ड ऑफ बिहार स्टेट अर्काइव’ का प्रकाशन किया गया है. मोदी ने कहा कि आरा में स्वामी जी की भव्य मूर्ति लगने जा रही है. उन्होंने कहा कि बिहार व देश के लोग स्वामी जी के महत्व को उस समय नहीं समझ पाये. मगर एक विदेशी शोधकर्ता ने जब उनके दर्शन को दुनिया के सामने लाया तब लोगों को इसकी अहमियत सामने आई . स्वामी जी के विचारों का एक बार फिर अध्ययन व शोध करने की जरूरत है.
सुशिल मोदी ने कहा कि बिहार में जिनकी जमीन है, उनमें से अधिकांश खेती नहीं करते हैं. खेती करने वाले गैररैयत किसानों को जमीन के कागजातों के अभाव में बैंक से ऋण व सरकारी योजनाओं का जितना लाभ मिलना चाहिए, वह मिल नहीं पाता है. बिहार सरकार ने अब गैररैयत किसानों से धान खरीदना व उन्हें भी डीजल अनुदान, फसल सहायता योजना का लाभ आदि देना प्रारंभ किया है. उन्होंने कहा कि ट्रस्ट ने उन्हें अवगत कराया था कि स्वामी सहजानंद सरस्वती से जुड़े दस्तावेजों को अधिकतम पांच से दस वर्ष तक संभाल कर रखा जा सकता है. भावी पीढ़ी के लिए दस्तावेजों का डिजिटलाइजेशन व संरक्षण बड़ी चुनौती है. अत: दस्तावेजों के डिजिटलाइजेशन में राज्य सरकार से सहयोग की अपेक्षा है. साथ ही कहा गया है कि बिहार से जुड़ी ऐतिहासिक महत्व की कई महत्वपूर्ण सामग्री राज्य के बाहर चली गई.
सीताराम ट्रस्ट के सचिव डा. सत्यजीत सिंह ने सिटी पोस्ट लाईव से कहा कि स्वामी सहजानंद सरस्वती से जुड़ी इन सामग्रियों के वापस आने से नये सिरे से शोध करने के लिए लोगों को प्रेणना मिलेगी . प्रो. हाउजर ने स्वामी सहजानंद सरस्वती के दस्तावेजों पर शोध करने के साथ ही दुनिया के कई बड़े शोधकर्ताओं को बिहार पर काम करने के लिए प्रेरित किया है. प्रो. विलियम व प्रो. पिंच उन लोगों में प्रमुख हैं. कैलाश चंद्र झा 1974 के आंदोलन में सक्रिय रहे और तभी से प्रो हाउजर से जुड़े हैं.