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जेपी के चेले दलतंत्र के खात्मा और लोकतंत्र के स्थापना के सपने को नहीं बढ़ा पाए आगे

सिवान जिले के पचरूखी प्रखंड में जेपी ने बनाई थी समानांतर 'जनता सरकार'

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सिटी पोस्ट लाईव : 1975 के 25 जून को तत्‍कालीन इंदिरा सरकार द्वारा देश में आपातकाल लागू किये जाने के बाद जयप्रकाश नारायण ने छात्र आन्दोलन की शुरुवात कर देश को हिलाकर रख दिया था. वगैर किसी राजनीतिक दल के सहयोग और समर्थन के छात्रों की बदौलत शुरू किये गए इस आन्दोलन ने इंदिरा को हिलाकर रख दिया .इंदिरा ने इस आन्दोलन के दमन में अपनी उरी ताकत झोंक दी. आपातकाल की पृष्‍ठभूमि में रहे जेपी के आंदोलन के दौरान बिहार में सरकार के समानांतर एक ‘जनता सरकार’ बनाई गई थी. सूबे की ऐसी पहली जनता सरकार सिवान जिले के पचरूखी प्रखंड में बनी थी. बाद में नवादा, बिहारशरीफ व जुमई में भी जनता सरकारें बनाई गई.

जयप्रकाश के आन्दोलन और संघर्ष का मकसद दलतंत्र से देश को मुक्ति दिलाकर लोकतंत्र की स्थापना करना था . जीपी को राजनीतिक दलों पर बिलकुल भरोसा नहीं था और इस व्यवस्था से वो देश  मुक्ति दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे थे.लेकिन इस  दलतंत्र की वकाल्पिक व्यवस्था को खड़ा नहीं कर पाए. उनके इस आन्दोलन से कांग्रेस का नुकशान तो हुआ,इंदिरा का अहंकार भी टूटा .लेकिन व्यवस्था परिवर्तन नहीं हो पाया .उनके आन्दोलन से जो नेता निकले वो भी आगे चलकर उसी परम्परा को आगे बढ़ाया जिससे जेपी जीवन भर घृणा करते रहे.

दरअसल, जेपी  दलों की भूमिका से असंतुष्ट थे और  समाज में आमूल-चूल परिवर्तन कर एक आदर्श व वर्ग-विहीन समाज की स्थापना की स्थापना करना चाहते थे. इसी अवधारणा को लेकर उन्होंने उन्होंने संपूर्ण क्रांति के लिए देश भर के छात्रों का आह्वान किया था. उन्होंने 9 दिसंबर, 1973 को वर्धा में एक अपील जारी कर देश के युवकों से लोकतंत्र की रक्षा के लिए एक संगठन बनाने को कहा.

जेपी ने सन् 1974 में जेपी के नेतृत्व में छात्र संघर्ष समिति का गठन किया गया. बिहार आंदोलन की शुरुआत यहीं से हुई . उनके छात्रों व युवाओं की यह समिति जनसंघर्ष समिति में शामिल बुजुर्गो से समन्वय स्थापित कर शांतिपूर्ण आंदोलन को आगे बाधा रही थी. इसी क्रम में 2 से 4 नवंबर, 1974 को जयप्रकाश के नेतृत्व में पटना में विधान सभा का घेराव किया गया, जिसपर सरकार की लाठियां बरसीं .जेपी भी घायल हुए. आहत जेपी ने तब बिहार में सरकार के ‘समानांतर जनता सरकार’ बनाने का ऐलान कर दिया. प्रखंड व आगे विभिन्न स्तरों पर बनने वाली इस सरकार के पास प्रशासनिक अधिकार तो नहीं होते, लेकिन वह जनमत के माध्यम से सरकार पर दबाव बनाती.

जेपी के आह्वान पर अप्रैल, 1974 में इसके लिए पटना में हुई बैठक में सिवान जिला के छात्र संघर्ष समिति के संयोजक जनकदेव तिवारी ने प्रस्ताव दिया कि ऐसी पहली प्रखंड स्तरीय जनता सरकार जिले के पचरूखी में बनाई जाए. फिर मई, 1975 में सिवान के राजेंद्र खादी भंडार में दादा धर्माधिकारी, आचार्य राममूर्ति व सिद्धराज ढढ्डा, दिनेश भाई व अमरनाथ भाई आदि की मौजूदगी में एक बैठक हुई.इस बैठक में पचरूखी के गांधी हाई स्कूल में 1 जून, 1975 को जनता सरकार की घोषणा करने का निर्णय लिया गया.

जनकदेव तिवारी के अनुसार इसके बाद आंदोलनकारियों ने लगातार बैठकें कर प्रस्तावित सरकार की रूपरेखा तय की गई . जेपी आन्दोलन  के सिलसिले में बनी छात्र-युवा संघर्ष वाहिनी के संगठन प्रभारी रहे महात्मा भाई के अनुसार निर्धारित स्थल पर जैसे ही इस सरकार की घोषणा की गई, वहां मौजूद आन्दोलनकारी गिरफ्तार कर लिए गए. कवि नागार्जुन, राज इंक्लाब, शहीद सुहरावर्दी, जहीद परसौनी, जेडए जाफरी आदि हस्तियां भी शामिल थीं। इस दौरान स्थानीय दीपेंद्र वर्मा, जनकदेव तिवारी, कुमार विश्वनाथ, हैदर अली, गंगा विशुन साह, मैथिली कुमार श्रीवास्तव, नयन कुमार, रमेश कुमार व अशोक राय सहित महात्मा भाई भी गिरफ्तार किए गए थे.

महात्मा भाई के अनुसार आगे 15 जून, 1975 को नवादा के कौवाकोल व 17 जून को बिहारशरीफ के एकरंगसराय में प्रखंड स्तरीय जनता सरकारें बनीं. फिर 23 जून को जमुई में आचार्य राममूर्ति के नेतृत्व में भी ऐसी सरकार बनी. इसके बाद आपातकाल की घोषणा के साथ जयप्रकाश गिरफ्तार कर लिए गए.आपातकाल के बाद सन् 1977 के लोक सभा चुनाव में उन्होंने जनता पार्टी की सरकार को बनवाने में अहम भूमिका निभाई. लेकिन जेपी अपने सिद्धांतों को अमली जामा पहनाने के लिए अधिक दिनों जीवित नहीं रह सके. सन् 1902 के 11 अक्टूबर को सिताब दियारा में जन्में जेपी 8 अक्टूबर, 1979 को देश को शोकाकुल छोड़ दूसरी दुनिया में चले गए.

जेपी के दायें बायें खड़े होनेवाले उनके चेले आज राजनीति के शीर्ष पर हैं .सता उन्हीं के हाथों में है लेकिन उनके काम करने का तरीका जेपी से बिलकुल उल्टा है.वो दल से ऊपर उठ नहीं सकते ,जातीय राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं . उनके लिए परिवार हित सबसे ऊपर और समाज हित उनके एजेंडे में उतना ही भर है,जितना समाज को भ्रमित करने के लिए जरुरी है.

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