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नीतीश कुमार ने उपेंद्र को सुनाई खूब खरी-खोटी.

मुख्यमंत्री बोले- कुशवाहा को कोई भी जदयू में लाना नहीं चाहता था; मेरे कहने पर तैयार हुए.

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सिटी पोस्ट लाइव :JDU के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा अब सीधे नीतीश कुमार से भीड़ गये हैं.शुक्रवार को उन्होंने अबतक का सबसे बड़ा हमला नीतीश कुमार पर बोला.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी उन्हें जबाब दिया.उपेंद्र कुशवाहा के बारे में नीतीश कुमार ने कहा कि उन्हें फिर से पार्टी में लाने पर दल के भीतर लोग तैयार नहीं थे पर मेरे कहने के बाद लोग राजी हुए. मेरा तो उनके प्रति प्रेम का भाव है लेकिन कुछ दिनों से उनका व्यवहार तो लोग देख ही रहे हैं. हम इतना स्नेह रखते हैं फिर भी कोई चला जाता है तो हम क्या कर सकते हैं.

मुख्यमंत्री ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा के बारे में हमें जो कहना था वह पहले ही कह चुके हैं. वह क्या बोल रहे हैं मुझे नहीं पता. हम तो बार-बार यह कह रहे हैं कि किसी भी राजनीतिक दल में कोई बात होती है तो उस पर आपस में चर्चा होती है न कि सार्वजनिक रूप से. प्रतिदिन उसके बारे में नहीं बोला जाता है. लोगों को अगर अपनी बातें कहनी हैं तो पार्टी के भीतर कहनी चाहिए. पहले उपेंद्र कुशवाहा बहुत अच्छा कर रहे थे, पर अचानक उनको क्या हो गया पता नहीं. हमसे तो एक महीने से कोई बात नहीं हुई है. हर आदमी को बोलने का अधिकार है.

उपेंद्र कुशवाहा के बीजेपी के सम्पर्क में आने के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह तो उन्हें ही पता होगा कि बात कहां से शुरू हुई. उन्हें किस पार्टी ने विधायक बनाया या फिर विधान परिषद भेजा? केवल लोकसभा ही वह दूसरी पार्टी के सहयोग से गए हैं? पहले वह मेरी पार्टी में थे, फिर चले गए. फिर आए और फिर चले गए. हमें तो आश्चर्य लगता है. हमारा इतना स्नेह है फिर भी चले गए. जिनको जहां जाना है जाए.उपेंद्र कुशवाहा के पार्टी छोड़ने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जिसको मर्जी हो वह करे.

नीतीश कुमार ने कहा कि विधानसभा चुनाव में JDU को 43 सीटें ही मिली थीं तो वह क्यों चले आए? मुझे इन सब बातों को लेकर आश्चर्य होता है. उपेंद्र कुशवाहा लगातार ट्वीट कर रहे हैं. हम तो यह चाहते थे कि अगर कोई बात है तो हमसे आकर कहें. राजनीति में सब की अपनी-अपनी इच्छा होती है. पार्टी को इन सब बातों से कोई मतलब नहीं. पार्टी के लोग अपने काम में लगे रहते हैं. हम किसी का भी नुकसान नहीं करते. अपने लाभ के लिए कुछ नहीं करते. समाज के उत्थान में लगे रहते हैं.

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