सिटी पोस्ट लाइव : आज 26 जनवरी है.आज भारत सरकार पद्म पुरस्कारों से लोगों को सम्मानित करेगी.पद्म पुरस्कारों की घोषणा भारत सरकार ने कर दी है.बिहार से गणितज्ञ आनंद कुमार, पेपरमेसी की कलाकार सुभद्रा कुमारी और टेक्सटाइल से जुड़े कलाकार कपिलदेव प्रसाद को पद्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा हुई है. आनंद कुमार पटना के जानेमाने शिक्षक हैं. सुभद्रा देवी सलेमपुर, मधुबनी की रहने वाली हैं और कपिलदेव प्रसाद बसवनबीघा, नालंदा के रहने वाले हैं.
आनंद कुमार का शिक्षण संस्थान सुपर 30 गरीब बच्चों को आईआईटी की तैयारी करवाने के लिए देश दुनिया में मशहूर है. उनकी मदद से अनेक बच्चों ने बेहतर मुकाम हासिल किया है. आनंद कुमार पर सुपर 30 फिल्म भी बन चुकी है. देश-विदेश के कई बड़े शिक्षण संस्थानों में आनंद लेक्चर दे चुके हैं. आनंद जमीन से जुड़े हुए प्रतिभाशाली व्यक्ति रहे हैं. गरीबों के लिए शिक्षा का बड़ा अवसर खोला. बचपन में पापड़ बेचकर पढ़ाई करनेवाले आनंद कुमार आर्थिक तंगी की वजह से आईआईटी नहीं कर पाए लेकिन कइयों को आआईटी में सफलता दिलाई.
सुभद्रा देवी, पेपरमैसी की आर्टिस्ट हैं. रहनेवाली तो वे सलेमपुर, मधुबनी की हैं लेकिन इन दिनों दिल्ली में रह रही हैं. पेपरमैसी की कला कागज को पानी में फुलाकार और उसे कूटकर तैयार की जाती है. सुभद्रा देवी के मायके मनिगाछी, दरभंगा में परंपरागत रूप से पेपरमैसी का निर्माण होता था. देखा-देखी बचपन में वे भी चुल्हा, गुड़िया और अन्य कलाकृतियां बनाने लगीं.जम्मू- कश्मीर की इस शिल्प कला को मिथिलांचल में आगे बढाने में उन्होंने अहम् भूमिका निभाई.
कपिलदेव प्रसाद टेक्सटाइल से जुड़ी बावन बूटी से जुड़े कलाकार हैं. बिहार के नालंदा जिला का बसवन विगहा गांव इसका मुख्य निर्माण सेंटर रहा है. इसे लूम के खड़े तानों से तैयार करते हैं. बुनक इसके बाना पर काम करते हैं. साड़ी या पर्दा आदि पर सौन्दर्य के 52 भावों को उभारा जाता है. माना जाता है कि बावन शब्द भगवान विष्णु के वामन अवतार से जुड़ा है.वामन अवतार लेकर भगवान विष्णु ने पूरे जग को नाप लिया था इसलिए छह गज की साड़ी या चादर आदि में पूरी सृष्टि को उभारने की परंपरा रही है.