राजीव रंजन ने छोड़ी BJP, बोले- पार्टी में पिछड़े वर्ग की उपेक्षा.

City Post Live

सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में जहरीली शराब कांड पर पार्टी लाइन से हतकार बयान देने की वजह से पार्टी से 6 साल के लिए निष्काशन के बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने शुक्रवार को पार्टी से त्यागपत्र दे दिया है. उन्होंने प्राथमिक सदस्यता समेत सभी पदों को छोड़ने की घोषणा की है.प्रदेश अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल ने उन्हें छह वर्षों के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया है. पहले भाजपा विरोधी बयानबाजी के लिए राजीव को पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने फटकार लगाई थी, लेकिन राजीव रंजन के स्टैंड में जब फिर भी बदलाव नहीं आया तो उन्हें निष्काषित कर दिया गया.

 

सूत्रों के अनुसार राजीव रंजन अपनी पुरानी पार्टी JDU में फिर से शामिल होगें.इस्लामपुर के पूर्व विधायक राजीव रंजन इससे पहले जदयू में थे. राजीव रंजन ने प्रदेश अध्यक्ष को भेजे अपने त्याग पत्र में लिखा है कि मैं पार्टी के पद और सदस्यता से अपना त्यागपत्र देता हूं. साथ ही आपसे अनुरोध है कि इस त्यागपत्र को स्वीकार कर मुझे पार्टी प्रदत दायित्वों से मुक्त करें.राजीव रंजन ने अपने त्यागपत्र में कहा कि भाजपा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों पर नहीं चल रही है.

 

पार्टी से त्यागपत्र देते हुए राजीव रंजन ने लिखा है कि सबका साथ, सबका विकास केवल कहने के लिए है. पिछड़े-अति पिछड़े और अनुसूचित जाति के लोगों की उपेक्षा हो रही है. इस वर्ग के लोग सिर्फ झंडा ढोते हैं. हालत यह है कि पिछड़ों के अधिकार पर दूसरे लोगों का कब्जा है. हालात यह है कि जो नेता पिछड़े समाज के नहीं है वह भी इस समाज के नाम पर दशकों से सत्ता सुख भोग रहे हैं. इनके चहेते चंद नेताओं के अतिरिक्त पार्टी में पिछड़ा और अतिपिछड़ा व दलित समाज के नेताओं का उपयोग केवल झंडा ढ़ोने तक ही सीमित कर दिया गया है, जो प्रधानमन्त्री मोदी की नीतियों की सरासर उपेक्षा है.

राजीव रंजन पार्टी से अलग होने से पहले भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष और मीडिया विभाग इंचार्ज थे. गुरुवार को उन्होंने पार्टी की नीतियों को गलत बताते हुए शराबबंदी मुहिम पर नेतृत्व के खिलाफ बात कही थी. उन्होंने पार्टी की ओर से शराब से मरने वालों के स्वजन को मुआवजा देने की मांग को गलत बताते हुए कहा था कि जहरीली शराब से मौत कोई नई बात नहीं है. पहले भी इससे मौतें होती थीं और आज भी हर राज्य में ऐसे हादसे हो रहे हैं. ऐसे में मुआवजे की मांग गलत है.

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