महापौर के चुनाव में पटना की जनता ने क्यों नहीं दिखाया उत्साह?

City Post Live

सिटी पोस्ट लाइव : पटना महापौर चुनाव संपन्न हो गया.लेकिन ख़ास बात ये रही कि तमाम कोशिश के वावजूद मतदाता घर से नहीं निकले. पटना में 39.17% से ज्यादा वोटिंग नहीं हो पाई.पटना में जहां 40 फीसदी महिला वोटर ने वोट किया वहीं 38.33 फीसदी पुरुष वोटर ने वोट किया. संदेश साफ़ है कि उम्मीदवारों पर जनता ने भरोसा नहीं कर पाई.उन्हें नहीं लगा कि मैदान में ऐसा कोई उम्मीदवार है जो कुछ बदलाव ला सकता है.

वोटर्स की उम्मीद बस एक ही होती है कि जीत के बाद पटना में विकास का काम हो, लेकिन कोई काम नहीं होता है. इस बार चुनाव मैदान में ऐसे लोग अधिक रहे जो पिछली बार चुनकर आए लेकिन उम्मीदों पर पूरी तरह से खरे नहीं उतरे. निगम के प्रत्याशी चाहे वार्ड पार्षद हों या फिर मेयर हों, कोई भी खरा नहीं उतरता है. ऐसे में लोगों का उत्साह चुनाव से कम होता जा रहा है. सबसे खास बात-उन मुहल्लों के लोग भी वोट देने के लिए घर से नहीं निकले जहाँ से उम्मीदवार थे. लोगों में उत्साह नहीं देखा गया. वोटिंग के लिए जहां कैंडीडेट्स दबाव बनाए और अपने संबंधों से वोटर्स को खींचकर बूथ तक लाए वहां मतदान का प्रतिशत अधिक रहा है. हालांकि कुछ मोहल्लों में यूथ के उत्साह के कारण भी वोटिंग का प्रतिशत अधिक रहा है.

कम वोटिंग के कारण अब हार जीत का गणित बिगड़ गया है. वोटिंग का प्रतिशत कम होने के कारण अब राजनीतिक पंडित भी हार जीत को लेकर कोई अनुमान नहीं कर पा रहे हैं. अगर 50 प्रतिशत से अधिक मतदान होता तो कोई न कोई अनुमान लगाया जाता, लेकिन कम वोटिंग के कारण समस्या बढ़ गई है. पूर्व में हार जीत को लेकर जो गणित सेट की जा रही थी, वह अब गड़बड़ होता नजर आ रहा है. ऐसे में हार जीत को लेकर वोटों का अंतर कम होगा, यह अंतर कैंडीडेटस की धड़कन अभी से बढ़ाने वाला होगा.

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