सिटी पोस्ट लाइव : पिछली नगर निगम कार्यकारिणी के जून महीने में भंग होने के करीब छह माह पहले से ही नक्शा पास करने के सिस्टम में बदलाव किया गया था. इसके तहत नगर निगम के बजाए वास्तुविदों का इंपैनलमेंट नगर विकास विभाग में करने की व्यवस्था की गई थी. नए पोर्टल बनाकर सभी वास्तुविदों को नगर विकास विभाग खुद ही पंजीकृत व सूचि बद्ध करने का सिस्टम बना रहा है. इस नई व्यवस्था के लागू नहीं होने के चलते ही पटना में सैकड़ों प्रोजेक्ट फंसे हुए हैं. शहर में मकान, अपार्टमेंट या फिर प्राइवेट कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स बनाने के लिए पिछले सालभर से नक्शा पास नहीं होने से पटना नगर निगम के पास ऐसे 7 हजार से अधिक प्रोजेक्ट के लिए नक्शा बनाने का आवेदन पेंडिंग है. किसी भी प्रोजेक्ट के लिए नक्शा पास नहीं किया जा रहा है.
बड़ी संख्या में प्रोजेक्ट के फंसने के चलते 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक का निवेश रुका हुआ है.2 फाइव स्टार होटल, 5 शॉपिंग मॉल, 358 कॉमर्शियल बिल्डिंग और 5600 से अधिक अपार्टमेंट्स के निर्माण का कार्य शुरू नहीं हो पा रहा है. रियल इस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी अर्थात रेरा में भी निर्माण प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिलने में छह महीने से अधिक का वक्त लग रहा है. जबकि किसी भी निर्माण प्रोजेक्ट को 30 दिन के अंदर क्लियर करना है. वर्तमान में शहर में 3 फाइव स्टार होटल, 5 मॉल और 158 से अधिक कॉमर्शियल बिल्डिंग बनाने को नक्शा पास करने के आवेदन दिए गए हैं.
नगर विकास विभाग की ओर से वास्तुविदों के निबंधन के लिए अलग से एक वेब पोर्टल बनाने का काम चल रहा है. जब तक पोर्टल व सिस्टम को डेवलप नहीं होता, तबतक जनहित में कार्य की महत्ता को देखते हुए पूर्व में निबंधित वास्तुविदों की वैधता को 31 अगस्त 2022 तक बढ़ा दिया था. इसके बाद से अबतक नई व्यवस्था नहीं बनी है.भवन व बिल्डिंग बनाने के लिए जो वास्तुविद पूरा नक्शा बनाने का काम करते हैं, अब उसकी मॉनिटरिंग नगर विकास विभाग सीधे तौर पर करेगा. निर्माण कार्यों में सुविधा बढ़ाने के नाम पर नगर विकास विभाग के इस पहल से पूरा सिस्टम ठप हो गया है. राज्यभर के वास्तुविदों की निबंधन प्रक्रिया में बदलाव किया गया है. अब भवन निर्माण से जुड़े वास्तुविद, अभियंता, नगर निवेशक, पर्यवेक्षक एवं भवन निर्माताओं का निबंधन सीधे तौर पर नगर विकास विभाग अपने स्तर पर करेगा.
पहले राज्य के 259 नगर निकायों में अलग-अलग तौर पर वास्तुविदों का निबंधन होता था. निबंधित किए गए वास्तुविद उसी निकाय के क्षेत्र में नक्शा बनाने व पास करने की प्रक्रिया से जुड़े होते थे. लेकिन अब इस प्रक्रिया को पूरी तरह से बदल दिया गया है. अब विभिन्न नगर निकायों में वास्तुविदों के लिए एक केंद्रीकृत व्यवस्था की जा रही है.