कई नटवरलाल को प्राप्त है IPS-IAS अधिकारियों का वरदहस्त.

City Post Live

सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनकर डीजीपी को हड्काने वाला अभिषेक अग्रवाल तो जेल चला गया लेकिन कई ऐसे और नटवार लाल है अभी भी बाहर हैं.पटना में कई ऐसे नटवार लाल हैं जो आईएएस और आईपीएस अधिकारियों से दोस्ती कर उनके साथ तस्वीर खिंचवाकर अपनी ठगी की दूकान चला रहे हैं.टेंडर से लेकर डिपार्टमेंटल ट्रांसफर-पोस्टिंग जैसे काम करवा कर ये मोती कमाई कर रहे हैं.

 

ये शातिर किसी न किसी तरीके से पहले IAS-IPS अधिकारियों से अपनी नजदीकियां बढ़ाते हैं. भइया-भइया कहते हुए अक्सर उनके साथ मिलते-जुलते हैं. उनके साथ फोटो खींचवाते हैं. अधिकारियों के साथ खींचवाई गई फोटो को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर खुद को पॉपुलर बनाने की कोशिश करते हैं. लोगों को अपनी पहुंच होने का एहसास दिलाते हैं. फिर शुरू होता है इनका शातिराना खेल. ये ऐसा जाल बिछाते हैं कि जरूरत मंद लोग नटवरल लाल टाइप के शातिरों के खेल में फंस जाते हैं.

 

अभिषेक अग्रवाल ने पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल के नाम का गलत इस्तेमाल किया था. उसने अपने निलंबित IPS दोस्त व गया के तत्कालीन SSP आदित्य कुमार के उपर दर्ज शराब मामले के केस को खत्म कराने के लिए शातिर चाल चली थी. इस मामले के खुलासे के बाद ही आर्थिक अपराध इकाई ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा था. कभी किसी पुलिस के अधिकारी के घर का किचेन-बाथरुम बनवाकर उनका करीबी बना तो कभी कुछ दूसरे काम करवा कर. इससे अधिकारी भी खुश होते गए और फिर अभिषेक अग्रवाल का इस कदर मन बढ़ा कि रिजल्ट सबके सामने है. उसने जो शातिराना खेल खेला, वो सबके सामने है.

 

पुलिस मुख्यालय में एक पार्लर वाले की खुब चलती है. IPS अधिकारियों की बीच उसने बहुत गहरी पैठ बना रखी है. इसने अपनी पैठ 2020 के विधानसभा चुनाव से पहले रिटायर्ड हुए DG स्तर के एक अधिकारी के समय से ही बनानी शुरू कर दी थी. वो अधिकारी तो रिटायर्ड होने के बाद विधानसभा का चुनाव लड़ गए. पर सूत्रों का दावा है कि उनके माध्यम से पार्लर वाले ने कई अधिकारियों के बीच अपना दबदबा बना लिया. इसके माध्यम से कई लोगों के काम तो ऐसे ही निकल जाते हैं.

बिहार में विपक्ष के दो राजनीतिक दलों से जुड़े दो ऐसे नेता भी हैं, जो नटवर लाल की तरह काम कर रहे हैं. जो कभी अधिकारियों को सर-सर तो कभी भइया-भइया करके अपना काम निकलवाते रहते हैं. एक पार्टी के नेता ने तो भ्रष्टाचार के मामले में चल रही कार्रवाई के बीच में ही स्पेशल विजिलेंस यूनिट (SVU) के अधिकारियों को कॉल कर दिया था. जिसके बाद उन नेता जी को नोटिस देकर पूछताछ के लिए SVU ने बुलाया भी था. वहीं, दूसरे राजनीतिक दल के नेताजी ने तो पुलिस अधिकारियों की मदद से खुद की एक सिक्योरिटी एजेंसी तक खोल ली. जिसका वो जमकर फायदा उठा रहे हैं. ये नेताजी पूर्व में एक DGP के बेटे के मैनेजर भी रह चुके हैं.

 

हाल के दिनों में पटना में इनकम टैक्स की टीम ने एक बड़े ठेकेदार के ठिकाने पर छापेमारी की थी.इनके ठेकेदार बनने के पीछे की लंबी कहानी है. अधिकारियों से लेकर नेताओं तक के रुपए ठेकेदार के प्रोजेक्ट में लगे हुए हैं. नटवरलाल बनकर ही उसने इस तरह की अपनी पहुंच बनाई. एक ऐसा युवक भी एक्टिव है, जो खुद को एक सीनियर IPS का भाई बताता है. कभी किसी अधिकारी को अपना रिश्तेदार. इस तरह से वो भी पैरवी और उसके जरिए अवैध कमाई का खेल खेल रहा है.

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