सिटी पोस्ट लाइव : इसबार बिहार की राजनीति में बड़ा परिवर्तन आनेवाला है.बिहार में JDU और RJD का विलय होनेवाला है.सूत्रों के अनुसार दोनों दलों की तरफ से इसकी तैयारी शुरू हो गई है, इस साल के अंत में या अगले साल की शुरुआत में दोनों दल एक हो सकते हैं.चर्चा है है कि JDU और RJD का विलय 2023 में होगा. तब नीतीश कुमार इस्तीफा दे देंगे और बिहार के मुख्यमंत्री पद पर तेजस्वी यादव की ताजपोशी होगी. विलय की पूरी स्ट्रेटजी पहले ही बन चुकी है.कुछ मसलों को लेकर अभी सहमति बननी भर बाकी है. इस विलय के साथ दो पार्टियों के नाम और निशान भी बदल जाएंगे.
दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में आरजेडी नेता भोला यादव ने यह प्रस्ताव रखा कि आरजेडी के निशान, झंडा और तमाम चीजों में बदलाव होगा तो वो तेजस्वी यादव या लालू यादव करेंगे. अमूमन, जो पार्टी स्थाई तौर पर रहती हैं उसके राजनीतिक प्रस्ताव में इस बात की चर्चा नहीं होती है. लेकिन, इस बात की चर्चा राजनीतिक प्रस्ताव में किया गया तो इस बात को बल मिला कि जेडीयू और आरजेडी एक साथ जाएंगे.JDU और RJD के विलय के साथ ही दोनों दल के नाम व निशान समाप्त हो जायेगें. एक तीसरा दल बनेगा जिसमें सभी नेता शामिल होगें.इस विलय से पुराना जनता दल का एक बार फिर जिंदा हो जाएगा. जनता दल टूट कर ही राजद और जदयू बना था. अब एक बार फिर दोनों दल आपस में मिलेंगे तो जनता दल जैसी ही तस्वीर बनेगी.
नाम और निशान में बदलाव के लिए राजद ने पहले कदम बढ़ा दिया है. दिल्ली में 10 अक्टूबर को राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय सम्मेलन में इस कदम पर आधिकारिक मुहर भी लग चुकी है. सूत्रों की माने तो नई पार्टी का स्ट्रक्चर काफी में संतुलित बनाने की कोशिश की जा रही है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर नीतीश कुमार को आगे किया जाएगा. वही बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर तेजस्वी यादव और रहेंगे. मुख्यमंत्री पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेंगे तो उन्हें राष्ट्रीय स्तर विपक्ष के नेता के तौर पर उभारने की पूरी कोशिश की जाएगी. नीतीश कुमार को नरेंद्र मोदी के बराबर तैयार किया जाएगा. बताया जा रहा है कि जिस तरह की स्थितियां बनेंगी उसके मुताबिक कुछ बदलाव भी किये जायेंगे.
BJP का कहना है कि जैसे ही यह विलय होगा, नीतीश कुमार समाप्त हो जाएंगे. बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार अप्रासंगिक हो चुके हैं.जैसे ही दोनों दलों का विलय होगा वह समाप्त भी हो जाएंगे. जिस तरह से 30% MY समीकरण का वोट लेकर लालू यादव पिछले 31 सालों से अपनी राजनीति कर रहे हैं. नीतीश कुमार उसमें समा जाएंगे. बीजेपी का कहना है कि अब बिहार की जनता समझ चुकी है कि यह दोनों नेता मिलकर बिहार की जनता को धोखा दे रहे हैं.