सिटी पोस्ट लाइव : बिहार सरकार ने भ्रष्टाचार और जालसाजी के आरोप में बिहार कैडर के दो आइपीएस अफसरों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. हाईकोर्ट का फर्जी चीफ जस्टिस बन डीजीपी एसके सिंघल को फोन करने के मामले में गया के पूर्व एसएसपी एवं वर्तमान में पुलिस महानिरीक्षक के सहायक (निरीक्षण) आदित्य कुमार को निलंबित किया गया है. पिछले सप्ताह विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) की छापेमारी में मिले आय से अधिक संपत्ति मामले में पूर्णिया के एसपी दयाशंकर को निलंबित किया गया है. निलंबन की अवधि में दोनों आइपीएस अधिकारियों का मुख्यालय आइजी केंद्रीय क्षेत्र का कार्यालय होगा. इस दौरान अफसरों को केवल जीवन निर्वाह भत्ता देय होगा. सूत्रों के अनुसार, जल्द ही दोनों अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगते हुए विभागीय कार्रवाई भी शुरू की जाएगी.
पूर्णिया के एसपी रहे दयाशंकर 2014 बैच के आइपीएस हैं. कनीय पुलिस पदाधिकारियों की मिलीभगत से अवैध वसूली करने के आरोप इनके ऊपर लगे हैं. 11 अक्टूबर को एसपी दयाशंकर के साथ सदर थानाध्यक्ष संजय सिंह, एसपी के रीडर नीरज कुमार सिंह व सिपाही सावन कुमार (टेलीफोन डयूटी) के ठिकानों पर छापेमारी हुई. इसमें आय से करीब 72 लाख रुपये अधिक संपत्ति मिली थी. इस मामले में पूर्णिया के सदर थानाध्यक्ष समेत तीन पुलिसकर्मी पहले ही निलंबित किए जा चुके हैं.
गया में एसएसपी रहते आदित्य कुमार पर शराब माफिया से सांठ-गांठ के आरोप लगे थे, जिसकी विभागीय कार्रवाई चल रही है. इस मामले में बचने के लिए आदित्य ने अपने दोस्त अभिषेक अग्रवाल के साथ मिलकर फर्जी काल की साजिश रची. पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के नाम पर डीजीपी को काल कर दबाव बनाया गया. इस मामले में आदित्य कुमार पर प्राथमिकी भी हुई है. फिलहाल वह ड्यूटी से गायब हैं.