सिटी पोस्ट लाइव : जब नीतीश कुमार NDA में थे तो अक्सर इस बात को लेकर लड़ाई होती रहती थी कि बड़ा भाई और छोटा भाई कौन है.कम विधयक होने के वावजूद हमेशा नीतीश कुमार बीजेपी का बड़ा भाई बने रहे.लेकिन महागठबंधन में आने के बाद एक झटके में ये तय हो गया कि नीतीश कुमार छोटे भाई हैं और लालू यादव बड़े भाई.ये तय एक झटके में तेजस्वी यादव ने कर दिया. सोमवार को लालू प्रसाद यादव ने अपने बेटे व राज्य के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को बड़े फैसले लेने का अधिकार दिया और मंगलवार को बिहार विधानसभा उपचुनाव में मोकामा और गोपालगंज दोनों सीटों पर महागठबंधन की ओर से राजद ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी. महागठबंधन में जेडीयू एक बड़ी पार्टी है, लेकिन उसे एक भी सीट नहीं मिली.
गोपालगंज और मोकामा विधानसभा उपचुनाव में महागठबंधन की ओर से राजद ने अपना उम्मीदवार दिया है. अब जदयू ने ऐलान किया है कि वह महागठंबधन के उम्मीदवारों का पूर्ण समर्थन करेगा. जदयू ने यह भी साफ किया है कि मोकामा से बाहुबली पूर्व विधायक अंनत सिंह की पत्नी नीलम देवी की उम्मीदवारी पर मतभेद के बावजूद जदयू पूरा समर्थन देगा.जदयू ने गोपालगंज और मोकामा सीट पर महागठंबधन के उम्मीदवारों की जीत का दावा किया. हालांकि सियासत के जानकार जदयू के इस समर्थन को पार्टी की मजबूरी मान रहे हैं और इसके लिए बिहार की राजनीति में जदयू की कमजोर स्थिति को जिम्मेदार बता रहे हैं.
RJD ने मोकामा विधानसभा क्षेत्र से बाहुबली अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी और गोपालगंज सीट से मोहन गुप्ता को अपना उम्मीदवार बनाया है. गोपालगंज राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव का गृह जिला है. जाहिर है सियासत के जानकार सवाल उठा रहे हैं कि क्या राजद से कम विधायकों की संख्या वाले जदयू के नीतीश कुमार को सीएम पद देने की कीमत इस तरह से वसूल रही है.पिछले विधानसभा चुनाव को देखें तो यह सीट कांग्रेस के खाते में जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. अब तो कांग्रेस भी सरेंडर बोल गई है. कहा तो यही जा रहा है कि महागठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी राजद है और यह सरकार भी नंबर के हिसाब से ही चल रही है. राजद ने राज्य को जेडीयू का सीएम (नीतीश कुमार) देकर पूरी कीमत वसूल की है और यह भी बता दिया है कि अब बिहार की राजनीति में जदयू से बड़ा कद राजद का है.