निकाय चुनाव: सुप्रीम कोर्ट से भी राज्य सरकार को नहीं मिलेगी राहत.

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सिटी पोस्ट लाइव :पटना हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने मंगलवार रात बिहार में चल रहे नगर निकाय चुनाव को फिलहाल के लिए स्थगित कर दिया है. बुधवार को बिहार सरकार के वरिष्ठ मंत्री विजय चौधरी ने साफ तौर पर कहा कि नीतीश सरकार अति पिछड़ों के अधिकार को लेकर सजग है. हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार को उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला सरकार के पक्ष में होगा. बिहार सरकार अगर सुप्रीम कोर्ट जाती है तो मामले की सुनवाई तत्काल में होने के आसार ना के बराबर है.

निकाय चुनाव में पिछड़ों को आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही स्पष्ट आदेश दिया हुआ है कि उसमें किसी राज्य को कोई छूट नहीं दी गई है. बिहार के मामले में भी पटना हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश आदेश के आलोक में सुनवाई की है. पटना हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देकर अपना जजमेंट दिया है. बिहार सरकार की अपील पर सुप्रीम कोर्ट अपना ही बदलने के पक्ष में ही नहीं रहेगा. ऐसी स्थिति में राज्य सरकार यदि सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देगा तो यह मामला आगे फंस सकता है. चुकी हाईकोर्ट ने कहा है कि ट्रिपल टेस्ट राज्य सरकार को कराना होगा और यह ट्रिपल टेस्ट पटना हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत दिया है.

कानून के जानकारों के अनुसार राज्य सरकार ने ट्रिपल टेस्ट के आदेश को नहीं माना है. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही इस तरह के आदेश दिए हुए हैं. मात्र एक जगह पर राज्य सरकार ने नियम का पालन किया कि 50% से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया है. लेकिन, ना यहां आयोग बना, ना कोई आंकड़े आए, ना कोई पॉलिटिकल बैकवार्डनेस को लेकर कोई रिपोर्ट आई है. जिसे हाईकोर्ट के समक्ष पेश नहीं किया गया. राज्य सरकार ने के कृष्णा मूर्ति के खंडपीठ ने जो आदेश दिए थे उसका कोई पालन नहीं किया है . सरकार सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रही है लेकिन जब आदेश सुप्रीम कोर्ट का ही है तो अपने आदेश के खिलाफ फैसला कैसे दे सकती है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट से बहुत उम्मीद नहीं करनी होगी.

नगर निकाय चुनाव में उम्मीदवार के तौर पर खड़े प्रत्याशियों के मन में कई तरह की भ्रम की स्थिति चल रही है. पूरे बिहार में निकाय चुनाव को लेकर जो प्रचार प्रसार का शोर चल रहा था वह पूरी तरह से थम चुका है. ऐसे में अभी तक उन प्रत्याशियों को यह पता नहीं कि आगे क्या होने वाला है?

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