तेजस्वी यादव के साथ 28 तारीख को क्या होने वाला है? सुशील मोदी ने ललन सिंह को जवाब देते हुए कर दिया इशारा
सिटी पोस्ट लाइव : बीजेपी नेता सुशील मोदी और जेडीयू के राष्ट्रिय अध्यक्ष ललन सिंह के बीच जुबानी जंग जारी है.दोनों नेताओं के इस ज़ुबानी जंग के बीच तेजस्वी यादव को लेकर कुछ खास सामने आया है.सुशील मोदी ललन सिंह को ये याद दिला रहे हैं कि लालू यादव के खिलाफ चारा घोटाला की जांच सीबीआइ से कराने के लिए पीआइएल दाखिल करने में ललन सिंह की भूमिका रही. इस घोटाले से जुड़े कागजात सीबीआइ को उन्होंने भी उपलब्ध कराए थे. आइआरसीटीसी घोटाले और रेलवे में नौकरी के बदले जमीन के कागजात तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सीबीआइ को ललन सिंह ने ही उपलब्ध कराए थे.
सुशील मोदी ने कहा कि आपको तो नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी तक से निकाल दिया था. उनकी सदस्यता समाप्त करने के लिए जदयू की ओर से लोकसभा अध्यक्ष को पत्र तक लिखा गया था. मोदी ने ललन सिंह के पुराने बयान की याद दिलाते हुए कहा कि नीतीश कुमार के पेट के दांत निकालने की बात तो आपने ही की थी. ललन सिंह ने नीतीश कुमार को तानाशाह तक कहा था.सुशील मोदी ने ललन सिंह को याद दिलाया कि आपकी पार्टी 1995 में विधानसभा और 2014 में लोकसभा चुनाव अकेले लड़ी और मात्र 7 एवं 2 सीटों पर सिमट गई थी.
सबसे दिलचस्प जवाब सुशील मोदी ने ललन सिंह के सबसे तीखे सवाल का दिया. ललन सिंह ने कहा था कि नीतीश कुमार के समर्थन की बदौलत ही सुशील मोदी भागलपुर से लोकसभा चुनाव जीते थे. इसके जवाब में मोदी ने कहा कि भागलपुर का चुनाव 2004 में विपरीत परिस्थितियों में 1.25 लाख वोट से जीता और उसी वर्ष रेल मंत्री रहते नीतीश कुमार बाढ़ लोकसभा से हार गए थे. सुशील मोदी ने कहा कि बिहार की सरकार में उप मुख्यमंत्री वे जदयू की कृपा से नहीं बने थे. भाजपा के विधायकों की रायशुमारी में 90 प्रतिशत विधायकों ने उनके पक्ष में मत दिया, तब वे उप-मुख्यमंत्री बने थे.
अपने बयान के आखिरी मसले पर सुशील मोदी ने फिर से आइआरसीटीसी घोटाले का जिक्र किया और तेजस्वी यादव के बारे में कयासों को हवा दे दी. सुशील मोदी ने कहा कि आइआरसीटीसी घोटाले में तेजस्वी पर मुकदमे को सीबीआइ ने न तो वापस लिया है और न ही केस बंद किया है. 28 सितंबर को अगली सुनवाई का इंतजार कीजिए. अब सवाल यह है कि 28 सितंबर को इस मामले में क्या होने वाला है? इस मामले में तेजस्वी यादव जमानत पर हैं और सीबीआइ ने उनकी जमानत को रद करने के लिए कोर्ट से गुहार लगाई है.
सीबीआइ से तेजस्वी यादव की जमानत खारिज करने का अनुरोध मिलने के बाद विशेष अदालत ने इस मामले में बिहार के उप मुख्यमंत्री से जवाब मांगा है. दरअसल, सीबीआइ ने तेजस्वी यादव के कुछ हालिया बयानों का हवाला देते हुए कोर्ट में दावा किया था कि वे जांच टीम के अफसरों को धमका रहे हैं और अपने रसूख का इस्तेमाल कर वह जांच को प्रभावित कर सकते हैं.तेजस्वी यादव ने पिछले दिनों बिहार में सीबीआइ के छापों के बाद काफी तीखा बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि केंद्र में हमेशा एक ही दल की सरकार नहीं रहेगी. सीबीआइ अफसरों को भी बच्चे हैं और उनका परिवार है.
कोर्ट इस मामले में तेजस्वी यादव का पक्ष जानने के बाद फैसला ले सकती है. अगर कोर्ट को तेजस्वी यादव की दलील सही नहीं लगती है तो तेजस्वी यादव की जमानत रद हो सकती है. ऐसी हालत में सीबीआइ को उनको गिरफ्तार करने का मौका मिल सकता है. अगर कोर्ट से तेजस्वी यादव की जमानत खारिज होती है, तो उन्हें राहत के लिए उच्च न्यायालय में अपील करने या अग्रिम जमानत के लिए आगे जाने का अधिकार होगा.
लालू प्रसाद यादव का परिवार लंबे अरसे से केस मुकदमों से जूझ रहा है. लालू यादव को चारा घोटाले में सजा होने के बाद उम्र के चौथे पड़ाव में लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा. वह किडनी और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं. उनके बड़े बेटे तेज प्रताप यादव की शादी एक साल के अंदर ही तलाक के मुकदमे तक पहुंच गई. ऐसी हालत में बिहार की सरकार में वापसी, तेजस्वी और तेज प्रताप दोनों के मंत्री बनने, लालू के जेल से निकलने पर परिवार फिलहाल राहत का अनुभव कर रहा है.लेकिन अगर फिर से तेजस्वी यादव फंसते हैं तो ये लालू परिवार के लिए बहुत बड़ा झटका होगा.