सिटी पोस्ट लाइव : मोकामा विधान सभा सीट को लेकर RJD-JDU आमने सामने है.गौरतलब है कि इस सीट से बाहुबली नेता अनंत सिंह (ANANT SINGH )लगातार चुनाव जीतते रहे हैं.सजा हो जाने की वजह से उनकी विधायकी चली गई है.फिर से यहाँ उप चुनाव होना है.अनंत सिंह RJD में हैं इसलिए RJD ये सीट छोड़ने को तैयार नहीं और JDU इसे अपनी परम्परागत सीट मानती रही है.वह इस सीट को छोड़ने के मूड में नहीं है. 2020 के चुनाव में इस सीट से बाहुबली अनंत सिंह ने RJD के टिकट पर जीत दर्ज की थी.
मोकामा सीट की करें तो उप चुनाव को ले कर महागठबंधन की दोनों बड़ी पार्टियां आमने सामने दिख रही हैं. जदयू ने साफ कहा है कि मोकामा उसकी परंपरागत सीट है, इसको वह नहीं छोड़ेंगे. वहीं, राजद ने कहा कि 2020 में राजद ने इस सीट पर जीत दर्ज की है, इसलिए यह उसकी सीट है.बाढ़ में जदयू के जिला संगठन अध्यक्ष परशुराम पारस ने कहा कि मोकामा जदयू की परंपरागत सीट है. इसको हम किसी कीमत पर नहीं छोड़ेंगे. बैठक में बाढ़ जदयू के कई प्रकोष्ठ के अध्यक्ष मौजूद थे. जिला अध्यक्ष ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि मोकामा में भाजपा का कोई जनाधार नहीं है और वह इस बार भी बुरी तरह हारेगी.
मोकामा में हुए दो दिवसीय विधानसभा प्रवास कार्यक्रम में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर संजय जायसवाल ने मोकामा से भाजपा के उम्मीदवार उतारने की घोषणा से महागठबंधन के नेताओं पर दबाब बनता नजर आ रहा है. संजय जायसवाल ने नीतीश कुमार और मुंगेर से सांसद ललन सिेह पर जमकर निशाना साधा है. बीजेपी का कोई न कोई बड़ा नेता मोकामा का दौरा रोज कर रहा है. बात अगर इस सीट के इतिहास की करें तो बाहुबली अनंत सिंह इस सीट से पूर्व विधायक हैं. वह चाहे जिस पार्टी से चुनावी मैदान में हों, मोकामा के पूर्व विधायक अनंत सिंह (छोटे सरकार) की ही जीत पक्की रहती आई है.
वो लगातार 5 बार इस सीट से विधायक बने हैं. अनंत सिंह 2020 में राजद के टिकट से चुनाव जीते थे. वो घर से एके-47 की बरामदगी के मामले में सजा काट रहे हैं और जेल में बंद हैं, जिसके कारण उप चुनाव के जल्द कयास लगाये जा रहे हैं. पूर्व विधायक अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी की उप चुनाव में राजद से उतारे जाने की मोकामा में चर्चा हो रही है.1990 से 2000 तक यहां से अनंत सिंह के भाई दिलीप सिंह विधायक रहे. दिलीप सिंह लालू प्रसाद यादव की कैबिनेट में मंत्री भी रहे. साल 2000 में नीतीश कुमार के समर्थन से निर्दलीय बाहुबली सूरजभान सिंह जेल में रहते हुए चुनाव में उतरे और जीते.
इसके बाद 2005 और 2010 में नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी से अनंत सिंह को प्रत्याशी बनाया और दोनों बार ही इनकी ही जीत हुई. 2015 में अनंत सिंह ने निर्दलीय जीत दर्ज की है. हालांकि बिहार में होने वाले उप चुनाव की तारीखों की अभी घोषणा नहीं हुई है पर राजनेतिक दल अपनी-अपनी तैयारी में जुटे हैं.