सिटी पोस्ट लाइव :झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन संकट में हैं.उनकी कुर्सी खतरे में है.उनकी विधायकी ख़त्म कर दिए जाने के चुनाव आयोग की सिफारिश पर कभी भी राज्यपाल मुहर लगा सकते हैं.इस मुद्दे को लेकर झारखंड में सियासी बवाल मचा हुआ है. ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में सीएम हेमंत सोरेन की विधायकी पर तलवार लटक रही है. राज्यपाल कभी भी अपना फैसला सुना सकते हैं.
अपनी कुर्सी जाने से पहले हेमंत सोरेन की अहम् राजनीतिक फैसले ले सकते हैं.उन्होंने सोमवार को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है.इस बात की चर्चा तेज है कि हेमंत सोरेन इस सत्र में राज्य में सबसे ज्यादा विवादित मुद्दे स्थानीयता नीति लागू करने का फैसला ले सकते हैं. जेएमएम के कई नेता और आदिवासी संगठन राज्य में वर्षों से 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीयता लागू करने की मांग करते रहे हैं. राज्य सरकार पहले ही रघुवार दास सरकार की तरफ से पेश स्थानीयता नीति को रद्द कर चुकी है. इसके साथ ही सरकार राज्य में OBC के आरक्षण के दायरे में वृद्धि संबंधी कानून भी पेश कर सकती है.
राजनीतिक पंडितों के अनुसार अगर हेमंत सरकार ने ईन विवादित मसलों पर कोई फैसला ले लिया तो राज्य में अशांति फ़ैल सकती है.आदिवासी-गैर-आदिवासी का मुद्दा फिर से गरमा सकता है.हेमंत सोरेन के फैसले से बीजेपी की मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं.सबकी नजरें राज्यपाल के फैसले पर टिकी हैं.वो दिल्ली में हैं और किसी भी वक्त उनका फैसला सामने आ सकता है.