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अनंत सिंह की राजनीतिक विरासत संभालेगीं नीलम देबी,जानिए कौन हैं ?

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सिटी पोस्ट लाइव :RJD के बाहुबली विधायक अनंत सिंह की विधायकी ख़त्म होने को लेकर राजनीती गरमाई हुई है. बाहुबली अनंत सिंह की सदस्यता जाने के बाद उनके सियासी विरासत को लेकर सवाल उठने लगे हैं. 5 बार विधायक रहे अनंत सिंह का राजनीतिक उत्तराधिकारी कौन होगा?सूत्रों के अनुसार अनंत सिंह की राजनीतिक विरासत को उनकी पत्नी संभाल सकती हैं. मोकामा से अनंत सिंह जिसे चाहेंगे वही पार्टी का उम्मीदवार होगा, ऐसा फैसला RJD ने लिया है.

अनंत सिंह के घर से एके-47 और हैंड ग्रेनेड मिलने के मामले में कोर्ट द्वारा 10 साल की सजा सुनाए जाने के कारण विधानसभा ने गुरुवार को उनकी विधायकी समाप्त किए जाने की अधिसूचना जारी कर दी है. आर्म्स मामले में उन्हें कोर्ट ने 14 जून को ही दोषी करार दिया था, इसके बाद 21 जून को एमपी- एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश ने उन्हें 10 साल की सजा सुनाई.कानूनी प्रावधान के अनुसार, 2 साल या उससे ऊपर की सजा मिलने के बाद विधायकी समाप्त हो जाती है. विधानसभा ने सजा की तारीख 21 जून से सदस्यता खत्म कर दी है.

2 सप्ताह पहले तेजस्वी यादव ने ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के 4 विधायकों को तोड़कर राजद में शामिल करा लिया था इसके बाद राजद के विधायकों की संख्या बढ़कर 76 से 80 पर पहुंच गई थी. लेकिन अनंत सिंह की सदस्यता जाने के बाद यह संख्या घटकर 79 हो गई है. हालांकि इसके बावजूद राजद बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में बरकरार है.विधानसभा चुनाव 2020 में राजद के 75 विधायकों की जीत हुई थी. इसके बाद बोचाहां उपचुनाव में राजद ने एक सीट जीती, जिससे यह संख्या बढ़कर 76 हो गई थी. एआईएमआईएम के वि

धायकों को मिलाने के बाद राजद 80 के आंकड़े पर पहुंच गए थे. अनंत सिंह की सदस्यता जाने के बाद यह संख्या 79 पर आ गई.
कानून के जानकारों के अनुसार अनंत सिंह की सजा पर आगे की किसी कोर्ट यानी हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट से जब तक कोई फैसला नहीं होता तब तक राज्य स्तरीय कोर्ट का फैसला ही मान्य होता है.ऐसे में अब चुनाव आयोग इस सीट पर उपचुनाव करा सकता है. मोकामा से राजद किसे उम्मीदवार बनाएगा इसको लेकर कोई संशय नहीं है. मोकामा सीट पर उपचुनाव में राजद की ओर से अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी उम्मीदवार हो सकती हैं. 2019 का लोकसभा चुनाव नीलम देवी ने मुंगेर लोक सभा क्षेत्र से लड़ा था, लेकिन जदयू के ललन सिंह चुनाव जीत गए थे.

सजायाफ्ता नेताओं की राजनीतिक विरासत उनके बेटे-बेटियां या फिर पत्नियां संभालती रही हैं.लालू प्रसाद ने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाया था. फुलपरास विधायक देवनाथ यादव अयोग्य करार दिए गए तो पत्नी गुलजार देवी विधान सभा पहुंचीं. जहानाबाद सांसद डॉ.जगदीश शर्मा की सदस्यता गई तो पुत्र राहुल शर्मा विधान सभा गए. राजबल्लभ यादव की पत्नी विभा देवी विधायक बनीं.बलिया से सांसद सूरजभान सिंह आयोग्य करार दिए गए तो पत्नी वीणा देवी मुंगेर से सांसद बनीं. उनके भाई नवादा से सांसद बने. प्रभुनाथ सिंह के बेटे रणधीर सिंह छपरा से विधायक हुए. परिहार से रामनरेश यादव की पत्नी गायत्री देवी विधायक बनीं. आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद विधायक और सांसद बनीं. अभी उनके पुत्र चेतन आनंद शिवहर से विधायक हैं.

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