प्रेम कुमार मणि ने राजद की प्राथमिक सदस्यता छोड़ राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को लिखा पत्र |

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सिटी पोस्ट लाइव –   प्रेम कुमार मणि ने राजद की प्राथमिक सदस्यता छोड़ दी है। वो राजद के वरिष्ठ नेता होने के सा-साथ पार्टी की समाचार पत्रिका के संपादक भी थे।  उन्होंने ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को पत्र भी लिखा इस्तीफा देने के बाद प्रेम कुमार मणि ने लिखा है कि आपने पिछले तीन-चार रोज में जो किया उससे दो साल की कार्यकर्त्ताओं की सम्मिलित मेहनत ध्वस्त हो गई। मणि ने लिखा है कि 2024 -25 के लिए आपने भाजपा की राजनीतिक स्थिति बिहार में पुख्ता कर दी है।

 

 

प्राथमिक सदस्यता का परित्याग करता हूं।

आप में सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है। मेरे अनुरोध पर आप तेजस्वी या किसी अन्य योग्य के लिए जगह छोड़िएगा नहीं। लेकिन मैं तो इस पार्टी से मुक्त हो ही सकता हूं। इस पत्र के साथ मैं पार्टी की प्राथमिक सदस्यता का परित्याग करता हूं। माफिया तत्वों से लड़ना सांप्रदायिक तत्वों से लड़ने से अधिक चुनौतीपूर्ण है। आपने इस पार्टी को माफिया पार्टी बना कर रख दिया है। आपसे अपने स्तर से एक व्यक्तिगत संबंध का अनुभव करता रहा हूं और पिछले नौ वर्षों से उस पार्टी से भी जुड़ा रहा, जिसके आप राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। आपने आग्रह पूर्वक अपने दल में शामिल होने का कई दफा न्यौता दिया और 4 जुलाई 2013 को जब मैं दिल्ली में आपसे मिलने गया, तब मेरी आगे की यात्रा रद्द करवा कर अपने साथ पटना लाए और दल में शामिल किया।

 

 

राजनीतिक स्थितियां बदलीं। भाजपा को बिहार से करारा जवाब मिला।

मुझे लगा समय की गंभीरता का दबाव आप पर अवश्य होगा। आप और आपके साथ राष्ट्रीय जनता दल भी नई परिस्थितियों के अनुरूप जरूर बदलेगा। इसी वहम का मैं शिकार हुआ। मेरी मनोदशा यह थी कि राष्ट्रीय हित में येनकेन भारतीय जनता पार्टी को सत्तासीन होने से रोकना है। मिलजुल कर बिहार में पार्टी को एक सक्षम मंच के रूप में विकसित करना है। उन दिनों की राजनीतिक स्थितियों की अतिरिक्त व्याख्या में नहीं जाकर इतना ही कहूंगा कि आपने तब भी किसी स्तर पर गंभीरता नहीं दिखलाई। णि ने आगे लिखा -2015 में प्रान्तीय स्तर पर राजनीतिक स्थितियां बदलीं। भाजपा को बिहार से करारा जवाब मिला। राजद सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और महागठबंधन की सरकार बनी। इसमें आपकी कोई विशिष्ट भूमिका नहीं थी। यह बिहार की सेकुलर समाजवादी जनता की जीत थी। फिर से हुए दलित-बहुजन एकता की जीत थी। आपने सरकार बनने के साथ ही अड़ंगा लगाया। अपने दोनों बेटों को सरकार में शामिल करवा कर पूरे राजनीतिक आवेग की एकबारगी हवा निकाल दी। राजद कोटे से जो भी मंत्री बनाए गए उनके बारे में हजार तरह की बातें बाजार में होती रहीं। नतीजा यह हुआ कि 2017 में बीजेपी महागठबंधन को तोड़ने में सफल हो गई। इस पूरे दौर में अपनी कमजोरियों का आत्म विश्लेषण आपको करना चाहिए।

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