RJD के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के छोटे बेटे अजीत सिंह ने खुद की सियासी राह पिता से अलग कर ली है। जगदानंद सिंह के परिवार में राजनीति को लेकर पहली बार कलह नहीं हुआ है। इससे पहले भी उनके बड़े बेटे सुधाकर भी बगावत कर चुके हैं। अजीत सिंह लालू प्रसाद यादव की जगह नीतीश कुमार से ज्यादा प्रभावित हैं। इसी प्रभाव का असर है कि वह अपने परिवार से बगावत कर मंगलवार को JDU में शामिल हो गए। इस मौके पर उन्होंने राजद पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा, ‘RJD समर्पित कार्यकर्ताओं का कब्रगाह बन गया है। यहां समर्पित कार्यकर्ताओं का कोई सम्मान नहीं होता है।’
नीतीश कुमार से ज्यादा प्रभावित हैं।
अजीत सिंह लालू प्रसाद यादव की जगह नीतीश कुमार से ज्यादा प्रभावित हैं। इसी प्रभाव का असर है कि वह अपने परिवार से बगावत कर मंगलवार को JDU में शामिल हो गए। इस मौके पर उन्होंने राजद पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा, ‘RJD समर्पित कार्यकर्ताओं का कब्रगाह बन गया है। यहां समर्पित कार्यकर्ताओं का कोई सम्मान नहीं होता है।’
सीखने का मौका मिलेगा।
सदस्यता ग्रहण करने के बाद अजीत सिंह ने कहा, ‘बचपन से ही CM नीतीश कुमार के कामकाज को देख रहे हैं। उनसे काफी प्रभावित हैं। यही वजह है कि बिना शर्त जेडीयू में शामिल हो रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘मुझे RJD से ज्यादा जदयू में सीखने का मौका मिलेगा। यही समाजवादियों की पार्टी है। इससे उनके और परिवार के बीच या पिता से उनके रिश्ते खराब नहीं होंगे।’
इस मौके पर JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा, ‘अजीत सिंह की एक अलग पहचान भी है। वो जगदानंद सिंह के बेटे के साथ-साथ पेशे से इंजीनियर हैं। पिछले 13 साल से वो जनता की सेवा भी कर रहे हैं।’ उन्होंने यह भी कहा, ‘पता नहीं जगदा भाई क्यों RJD में बेइज्जती सह रहे हैं। यह समझ में नहीं आ रहा है। जबकि, वे समाजवादी नेता रहे हैं।
खिलाफ जमकर प्रचार किया था।
इससे पहले भी उनके बड़े बेटे सुधाकर भी RJD छोड़कर BJP से चुनाव लड़ा था। उस समय उन्होंने अपने बेटे का साथ नहीं दिया था और 2010 के चुनाव में उनके खिलाफ जमकर प्रचार किया था। सुधाकर वो चुनाव हार गए थे। बाद में वो RJD से चुनाव लड़े और अब वो RJD से रामगढ़ के विधायक हैं।
प्रभावशाली नेताओं में से एक थे।
जगदानंद सिंह के चार बेटे हैं। दिवाकर सिंह, डॉक्टर पुनीत कुमार सिंह, सुधाकर सिंह और इंजीनियर अजित कुमार सिंह। अजीत सिंह तब चर्चा में आए थे, जब उन्होंने अंतरजातीय विवाह किया था। RJD के प्रदेश अध्यक्ष ने अपने बड़े भाई और समाजवादी नेता सच्चिदानंद सिंह के खिलाफ चुनाव लड़कर ही राजनीति में अपनी पहचान बनाई थी। सच्चिदानंद सिंह उस समय के प्रभावशाली नेताओं में से एक थे।