सिटी पोस्ट लाइव : चारा घोटाले के सबसे बड़े केस डोरंडा ट्रेजरी से गबन के मामले में 15 फरवरी को CBI की विशेष अदालत फैसला सुनाएगी. इस मामले में पूर्व CM और RJD सुप्रीमो लालू यादव भी आरोपी हैं. क्या 5वें केस में भी लालू दोषी करार दिए जाएंगे या बरी हो जाएंगे,अब सबकी निगाहें कोर्ट के फैसले पर टिकी है.देश की राजनीति में 90 के दशक में किंग मेकर के रूप में मशहूर लालू यादव को आखिर कैसे उनके द्वारा बनाये गये PM ने ही उन्हें भेजवा दिया जेल.
19 96 में चारा घोटाला में लालू यादव फंसे. जनवरी, 1997 में लालू से पहली पूछताछ केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के जॉइंट डायरेक्टर यूएन विश्वास ने की. लालू चाहते थे कि तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा CBI डायरेक्टर जोगिंदर सिंह को बोलकर उन्हें बचायें. लेकिन देवगौड़ा ने मदद नहीं की.सीनियर जर्नलिस्ट संकर्षण ठाकुर अपनी किताब में लिखते हैं, ‘तत्कालीन जनता दल के अध्यक्ष लालू और PM देवगौड़ा के बीच तीखी बहस हुई. लालू यादव ने देवगौड़ा के आधिकारिक 7 रेस कोर्स निवास पर घुसते हुए उनसे कहा- का जी देवगौड़ा, इसीलिए तुमको PM बनाया था कि तुम हमारे खिलाफ केस तैयार करो? बहुत गलती किया तुमको PM बना के.’ देवगौड़ा ने भी वैसा ही जवाब दिया था, ‘भारत सरकार और CBI कोई जनता दल नहीं है कि भैंस की तरह इधर-उधर हांक दिया. आप पार्टी को भैंस की तरह चलाते हैं, लेकिन मैं भारत सरकार चलाता हूं.’
29 जुलाई 1997 की रात को CM आवास घेर लिया गया. रैपिड एक्शन फोर्स की तैनाती की गई. लालू समर्पण करने को तैयार नहीं थे. वो खुलेआम हिंसक विरोध की धमकी दे चुके थे. स्थिति से निपटने के लिए सेना की तैनाती की चर्चा होने लगी. दबाव में लालू को झुकना पड़ा. अगली सुबह चुपचाप लालू ने CBI कोर्ट में सरेंडर कर दिया.जब जज ने लालू से कहा- हाथी पर घूमने के लिए जमानत दे दें.देवघर कोषागार मामले की सुनवाई CBI स्पेशल कोर्ट के जज शिवपाल सिंह की अदालत में चल रही थी. कोर्ट लालू यादव को दोषी करार दे चुकी थी. अब सजा का ऐलान होना बाकी रह गया था. लालू यादव ने पेशी के दौरान जज शिवपाल सिंह से कहा था हुजूर, बेल दे दिया जाए. इस पर जज ने कहा, ‘क्या आपको इसलिए जमानत दे दिया जाए कि आप हाथी पर चढ़कर बाहर निकले और पूरे शहर घूमें.’