सिटी पोस्ट लाइव : बिहार को विशेष दर्जा देने की मांग के बीच केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि बिहार में सड़क निर्माण पर अभी 2 लाख करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं. 27 हजार करोड़ की लागत से 18 ब्रिज बनवाए जा रहे हैं. 700 करोड़ की लागत से आरओबी का निर्माण किया जा रहा है. गतिशक्ति योजना के तहत बिहार में कई जगहों पर बंदरगाह बनाए जाने हैं. पटना से दिल्ली व कोलकाता के लिए एक्सप्रेस-वे बनाने जा रहे हैं.उन्होंने कहा किबिहार के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर 2024 से पहले 5 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे.
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री गडकरी ने कहा कि अभी सड़क निर्माण पर 2 लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं. 27 करोड़ रुपए की लागत से 18 ब्रिजों का निर्माण हो रहा है. ये जानकारियां केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने दीं. उन्होंने कहा कि गतिशक्ति योजना के तहत बिहार में कई जगहों पर बंदरगाह बनाए जाने हैं. पटना से दिल्ली व कोलकाता के लिए एक्सप्रेस-वे बनाने जा रहे हैं. बिहार को 4 ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस हाईवे की सौगात मिलेगी. बिहार का पहला एक्सप्रेस-वे गोरखपुर बायपास से बिहार-सिलीगुड़ी तक 30 हजार करोड़ की लागत से 520 किलामीटर तक बना रहे हैं. यह यूपी-बिहार और पश्चिम बंगाल से गुजरेगा. एक्सप्रेस-वे का डीपीआर बनकर तैयार है.
वाराणसी से बिहार-कोलकाता तक 686 किलामीटर का दूसरा एक्सप्रेस-वे बनेगा. यह यूपी के चंदौली से शुरू होगा और बिहार-झारखंड होते हुए कोलकाता तक जाएगा. तीसरा एक्सप्रेस वे रक्सौल-हल्दिया ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस वे है. नेपाल से रक्सौल और पश्चिम बंगाल के हल्दिया तक 20 हजार करोड़ की लागत से 680 किलोमीटर सड़क बनेगी. पटना-आरा-सासाराम का एक्सप्रेस-वे, गोरखपुर में जहां पूर्वांचल एक्सप्रेस वे खत्म होगा, वहीं से पटना के लिए बनेगा. 110 किलोमीटर का हिस्सा एक्सप्रेस-वे का होगा. नितिन गड़करी ने बताया कि राम जानकी मार्ग का विकास होगा.
लेकिन JDU केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के इस एलान से संतुष्ट नहीं हैं.JDU के मुंह प्रवक्ता नीरज कुमार ने उन्होंने विशेष दर्जा की मांग को दुहराते हुए कहा कि आधारभूत संचरना में सहायता मिलना अलग बात है, लेकिन यदि बिहार को विकसित राज्य की श्रेणी में लाना है, तो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा और विशेष सहायता मिलनी चाहिए.उन्होंने कहा कि बिहार प्राकृतिक आपदाओं से जूझता रहता है, इसलिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पदभार ग्रहण करने के 2 सप्ताह के अंदर पत्र लिख तत्कालीन सरकार से स्पेशल स्टेटस और पैकेज की मांग की थी. यह मांग इसलिए जरूरी है कि इससे बिहार का मानव सूचकांक बेहतर होगा.