सिटी पोस्ट लाइव : अनलॉक्ड बिहार होने के साथ ही राज्य में हवा का प्रदुषण खतरनाक लेवल पर पहुँच गया है.पटना का एयर क्वालिटी इंडेक्स 340 तक पहुंच गया है, जो सांस के लिए बेहद खराब माना जाता है. ऐसी हवा में अधिक समय तक रहने वालों को सांस की गंभीर बीमारी हो सकती है, जो फेफड़े के कैंसर से मौत के घाट पहुंचा सकती है.गौरतलब है कि संक्रमण के बढ़ते मामले के बाद बिहार सरकार ने पाबंदी बढ़ा दी थी. इसी सख्ती के कारण ही पटना में प्रदूषण का स्तर कम हो गया था. लेकिन 7 फरवरी के बाद जनजीवन सामान्य होते ही हवा में जहर घुलने लगा. पटना में हवा का प्रदुषण अचानक से 3 गुणा से अधिक बढ़ गया है. कोरोना काल में जब सरकार की सख्ती थी तो पटना का एयर क्वालिटी इंडेक्स 120 तक पहुंच गया था जो अब 340 पार कर गया है.
एक्सपर्ट बढ़ते वायू प्रदुषण को लेकर बेहद चिंतित हैं क्योंकि जहरीली हवा में शामिल खतरनाक कण फेफड़े और पूरी श्वसन सिस्टम पर असर डाल रहे हैं. यह मीठा जहर की तरह इंसान के फेफड़े को प्रभावित करती है. पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के चेस्ट रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ मनीष शंकर के अनुसार एयर क्वालिटी इंडेक्स खराब होने से फेफड़ का संक्रमण बढ़ा है. ओपीडी में सांस की समस्या लेकर आने वाले मरीजों की संख्या अचानक से बढ़ी है. कोरोना की तरह ही ऐसे मरीजों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है. हर दिन 10 प्रतिशत नए मरीज सांस की समस्या के साथ अस्पताल आ रहे हैं. सांस और दमा के रोगियों के लिए तो इस तरह की हवा में जान बचाना मुश्किल हो गया है.
पटना का एयरक्वालिटी इंडेक्स 340 तक पहुंच गया है. मुजफ्फरपुर में एयरक्वालिटी इंडेक्स 256 है और पटना का 300 के पार है. पटना में सुबह के समय एयरक्वालिटी इंडेक्स 200 के पार रहता है.प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के रिकॉर्ड के मुताबिक पटना के साथ सिवान में भी हवा काफी खतरनाक है. सासाराम में भी हवा की स्थिति काफी खराब होने की श्रेणी में है. सहरसा के साथ राजगीर की हवा भी शुद्ध नहीं है. ऐसी हवा में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.