सिटी पोस्ट लाइव :अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल (crude) कीमत में भारी उछाल आया है.सोमवार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत 94 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई. कोरोना की वजह से कच्चे तेल की कीमत 69 डॉलर पर आ गई थी. लेकिन ओमीक्रोन का खतरा कम होते ही इसमें फिर तेजी आई है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में चार नवबंर के बाद 12 डॉलर प्रति बैरल यानी 15 फीसदी की तेजी आई है जबकि इस दौरान देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है.
घरेलू तेल कंपनियों ने पांच राज्यों के होनेवाले चुनाव की वजह से डीजल पेट्रोल की कीमत में कोई बढ़ोतरी तो नहीं की है लेकिन चुनाव ख़त्म होते ही घरेलू तेल कंपनियों पेट्रोल-डीजल की कीमत में भारी बढ़ोतरी कर सकती हैं. इसका महंगाई पर व्यापक असर होगा. कंज्यूमर्स के लिए कीमतों में एक साथ भारी बढ़ोतरी के बजाय रोज-रोज होने वाले मामूली बदलाव को झेलना आसान है. एक साथ कीमतों में भारी तेजी से ट्रांसपोर्ट कॉस्ट बढ़ जाती है और इससे बाकी चीजें भी महंगी हो जाती है.
अंतरराष्ट्रीय कीमतों में भारी उतारचढ़ाव हो रहा है. अभी घरेलू कंपनियां इसे उपभोक्ताओं पर नहीं डाल रही है जिससे उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. सरकार ड्यूटी में कटौती के साथ कीमतों में बढ़ोतरी कर सकती है. सरकार ने नवंबर में ड्यूटी में कटौती की थी. लेकिन तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से महंगाई बेकाबू हो सकती है. इससे ब्याज दरें और इकनॉमिक रिकवरी प्रभावित हो सकती है.लेकिन आरबीआई को मॉनिटरी पॉलिसी के जरिए इस पर कदम उठाने होंगे क्योंकि उनके पास महंगाई का एक टारगेट है. कुछ देशों में सेंट्रल बैंक्स तेल के कारण बढ़ी महंगाई को काबू में करने के लिए उपाय करने शुरू कर दिए हैं. अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इससे निपटने के लिए पॉलिसी रेट में बढ़ोतरी के बजाय ड्यूटी में कटौती बेहतर उपाय