सिटी पोस्ट लाइव : भारत के स्वाभिमान गौरवशाली भारत के निर्माता चक्रवर्ती सम्राट अशोक के विरुद्ध अपमानजनक टिप्पणी को भारत की जनता कभी स्वीकार नहीं कर सकती है। नाटककार दया प्रकाश सिन्हा ने अपनी रचनाओं में और इस संदर्भ में दिए गए साक्षात्कार में उस महान शख्सियत के खिलाफ अभद्र और अपमानजनक टिप्पणी की है, जिन्होंने अपने पराक्रम और समाज सुधार के कार्यों से भारत को पूरी दुनिया में गौरव दिलाया। सम्राट अशोक ने दुनियाभर में शान्ति के संदेश फैलाया।
उनके विरुद्ध आधारहीन तर्क हैं और इतिहास विरुद्ध बात लिख कर न सिर्फ बिहार के स्वाभिमान को भी ललकारा गया है बल्कि भारत की अस्मिता पर हमला किया गया है। सम्राट अशोक का लाट (तीन सिंह) की मूर्ति आज भारत सरकार का राष्ट्रीय प्रतीक है। यही नहीं, उनका चक्र भारत मां की तिरंगे की शान है। दया प्रकाश सिन्हा का यह कृत्य देशद्रोह की श्रेणी में आता है। अफसोस की बात है कि उसी पुस्तक के लेखक को साहित्य अकादमी पुरस्कार और पद्मश्री का सम्मान दिया गया है।
हमारी मांग है कि :-
दया प्रकाश सिन्हा को भारत सरकार द्वारा दिए गए पद्मश्री और साहित्य अकादमी पुरस्कार सहित सभी पुरस्कार वापस लिए जाएं।
लेखक पर राष्ट्र के सम्मान के साथ खिलवाड़ करने के आरोप में देशद्रोह का मुकदमा किया जाए।
लेखक द्वारा लिखित सम्राट अशोक से संबंधित पुस्तक पर प्रतिबंध लगाया जाए।
महात्मा फूले समता परिषद, बिहार उपरोक्त प्रश्नों पर तब तक लड़ती रहेगी जब तक कि हमारी मांगे नहीं मानी जाती है। बिहार की जनता इस प्रश्न पर आंदोलित है और इस अभियान की अगली कड़ी है “सम्राट अशोक शौर्य यात्रा” का आयोजन। इस यात्रा का आयोजन 23 जनवरी को किया गया है। यात्रा महान सम्राट अशोक के सम्मान का प्रतीक वैशाली स्थित शांति स्तूप से पटना स्थित कुम्हरार तक आयोजित की गई है। यह यात्रा 23 जनवरी को 11:00 बजे दिन में शुरू होकर संध्या 3:00 बजे कुम्हरार स्मारक स्थल पहुंचेगी।