प्रदेश का पहला प्लांट हुआ स्थापित : गया शहर के कचरा निष्पादन से बन रही खाद

City Post Live - Desk

सिटी पोस्ट लाइव : गया शहर से निकलने वाले शत-प्रतिशत कचरे के निष्पादन के लिए प्रदेश का पहला प्रोजेक्ट गया शहर में स्थापित हो गया है। बुधवार को नैली स्थिति डंपिंग यार्ड का मेयर वीरेंद्र कुमार व डिप्टी मेयर अखौरी ओंकार नाथ उर्फ मोहन श्रीवास्तव ने इसका जायजा लिया। उनके साथ नोडल पदाधिकारी शैलेंद्र कुमार सिन्हा व भोपाल के टीम मौजूद थे।

इस प्रोजेक्ट की कई मशीनें चालू हो गई हैं और जैविक खाद तैयार की जा रही है। जबकि कुछ मशीनें इस महीने के अंत तक चालू हो जाने की उम्मीद है। मशीनें स्थापित करने का कार्य भोपाल की एक निजी कंपनी कर रही है। नगर निगम ने इस मद में करीब 30 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च की है। बता दें कि स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत अब नगर निगम को शहरों से निकलने वाले शत-प्रतिशत कूड़े-कचरे का निष्पादन हर हाल में करना है। इसी के मद्देनजर गया नगर निगम ने शहर के नैली स्थित डंपिग ग्राउंड पर कई तरह की मशीनें लगवाई हैं।

इन मशीनों के जरिए कचरे का शत-प्रतिशत निष्पादन किया जा रहा है। भोपाल की निजी कंपनी सूखे व गीले दोनों प्रकार के कचरे का निष्पादन कर रही है। डंपिग ग्राउंड पर स्थापित मशीनों से कचरे का निष्पादन शुरू हो गया है। साथ ही मरे हुए जानवरों के निष्पादन के लिए कृमिशन मशीन लगाए जाएंगे। इस संबंध में मेयर वीरेंद्र कुमार ने बताया कि बिहार में गया पहला ऐसा शहर है, जहां कचरे के निष्पादन के लिए कई मशीनें लग गई हैं। कई मशीनें संचालित हैं तो कुछ महीने के अंत चालू होंगी।

वहीं डिप्टी मेयर मोहन श्रीवास्तव ने बताया कि प्रदेश का पहला प्लांट लगाया गया है। फिलहाल कचरे से खाद तैयार किया जा रहा है। शीघ्र ही कचरे के निकलने वाले कपड़े से रस्सी व ईंट व पेवर ब्लॉक तैयार होगी। मशीन द्वारा आकार के अनुसार कचरे को अलग किया जा रहा है। मशीन से दो तरह का आरडीएफ और 75 मिमी. डाउन साइज का कचरा निकलता है। आरडीएफ कचरा केवल जलाने के काम में आता है।

इस कारण इसे सीमेंट फैक्ट्री में भेजा रहा है, जहां यह कोयले का विकल्प बनेगा। मशीन प्रत्येक दिन 150 टन आरडीएफ कचरा अलग कर रही है। वहीं 75 मिमी. डाउन साइज के कचरे को गीले कचरे में मिलाकर जैविक खाद तैयार की जा रही है। इसके लिए छह मशीनें लगी हैं। सूखे कचरे को दस प्रकार से अलग किया जा रहा है। इसे छांटने का काम महिलाएं कर रही हैं। इसमें प्लास्टिक, कांच, प्लास्टिक की बोतलें, कापी-किताब के गत्ते, प्लास्टिक के गिलास, लोहा, सोल स्टील, सॉस बोतल, कांच का गिलास, गुड़िया आदि हैं।

इन सभी सामग्री को बेचा जा रहा है। प्रत्येक दिन एक ट्रैक्टर सामग्री कबाड़ में बेची जा रही है। पूरी तरह से कचरे का निष्पादन अब शुरू हो गया। डंपिंग ग्राउंड पर कई मशीन लग गई हैं, कई अभी लगने वाली हैं। सभी मशीनें चालू होने पर शहर से निकलने वाले कचरे का पांच से छह घंटे में निष्पादन होगा। इससे निगम को अच्छी आय होगी। कचरा निष्पादित होने से शहर भी सुंदर व स्वच्छ दिखेगा। कचरा निष्पादन के लिए गया में प्रदेश का पहला प्रोजेक्ट लगा है।

डिप्टी मेयर श्री श्रीवास्तव ने बताया कि पर्यावरण और एनजीटी के मानक के अनुसार कचरा निष्पादन प्लांट का निर्माण किया गया है। इसके अलावा घर-घर से कचरा उठाओ को लेकर क्यूआर कार्ड घर के बाहर लगाए जाएंगे। इसके निगरानी के लिए एक कन्ट्रोल रूम तैयार किया जा रहा है। जल्द ही शहर में कचरे का ढेर कहीं नहीं दिखेगा और गया शहर स्वच्छ और सुंदर रूप में दिखेगा।

गया से जीतेन्द्र कुमार की रिपोर्ट

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