सिटी पोस्ट लाइव : उत्तर प्रदेश चुनाव के पहले आरक्षण को लेकर केंद्र की मोदी सरकार बड़ा फैसला लेने जा रही है. सरकार ओबीसी आरक्षण के लिए क्रीमीलेयर की सीमा को 8 लाख से बढ़ाकर 12 लाख करने जा रही है. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय इस बात पर भी विचार कर रही है कि सालाना इनकम में सैलरी और खेती से हुई कमाई को भी शामिल किया जाए या नहीं. गौरतलब है कि फिलहाल सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 फीसदी का आरक्षण है. फिलहाल इस आरक्षण के लिए 8 लाख तक की सालाना आय की सीमा तय की गई है. इससे अधिक सालाना कमाई वाले लोगों को आरक्षण नहीं मिलता है.
क्रीमीलेयर के तहत आय सीमा की हर तीन साल में समीक्षा की जाती है. आखिरी बार 2017 में इसकी समीक्षा की गई थी और इनकम लिमिट को 6 लाख से बढ़ाकर 8 लाख तक करने का फैसला लिया गया था. इससे पहले यूपीए सरकार के कार्यकाल में 2013 में यह लिमिट 4.5 लाख रुपये ही थी, जिसे बढ़ाकर 6 लाख किया गया था. इसके बाद 2020 में ओबीसी की क्रीमी लेयर की लिमिट का फैसला होना था, जिसे लेकर मार्च 2019 में मंत्रालय की ओर से पूर्व सचिव बीपी शर्मा की अध्यक्षता में एक पैनल का गठन किया था. अब इस पर काम तेज हो गया है. इनकम लिमिट में खेती की कमाई और सैलरी को भी शामिल रखा जाए या नहीं, इस पर भी विचार किया जा रहा है.
सरकार की राय है कि खेती की इनकम को यदि सालाना आय में शामिल न किया जाए तो इससे ग्रामीण गरीबों को मदद मिलेगी. इस संबंध में 2020 में ही कैबिनेट नोट जारी किया गया था. हालांकि अब तक इस बारे में कोई फैसला नहीं हो सका है. माना जा रहा है कि पंजाब और उत्तर प्रदेश में चुनाव से ठीक पहले सरकार ईन मामलों पर फैसला लेने जा रही है.माना जा रहा है कि खासतौर पर उत्तर प्रदेश में बड़े ओबीसी वोटबैंक को संदेश देने में सरकार को मदद मिलेगी. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में ओबीसी मतदाताओं की संख्या 45 फीसदी के करीब है. इसके अलावा पंजाब में इस वर्ग की आबादी 33 फीसदी के करीब है. ऐसे में भाजपा को इस फैसले से बड़ी उम्मीद दिख रही है. यदि इस लिमिट में बदलाव किया जाता है तो फिर यूपी में इसका असर देखने को मिल सकता है.