सिटी पोस्ट लाइव : एक ज़माना था जब RJD का मतलब लालू यादव और लालू यादव का मतलब RJD होता था. लेकिन अब पार्टी की कमान लालू यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव के हाथ में है. तेजस्वी यादव भी लालू यादव की राह पर चलते नजर आ रहे हैं. वो लगातार अपने सहयोगी दलों के साथ साथ अपने परिवार को भी ये मेसेज देते नजर आ रहे हैं कि अब RJD का मतलब तेजस्वी यादव है और तेजस्वी यादव का मतलब RJD है.वो ना तो सहयोगी दलों के दबाव में आ रहे हैं और ना ही राजनीति में अपने परिवार का हस्तक्षेप बर्दाश्त कर रहे हैं. राजनीतिक हिस्सेदारी की मांग करनेवाले अपने बड़े भाई तेजप्रताप को लगातार उनकी हैसियत का अहसास कराते आये हैं.
इसबार विधान परिषद् की 24 सीटों के लिए होनेवाले चुनाव के पहले जब फिर से तेजप्रताप यादव ने उनके सामने 25 फीसदी सीटों की मांग की और नहीं देने पर चुनाव हार जाने की धमकी दी तो तेजस्वी यादव ने पहले की तरह ही उन्हें नजर-अंदाज कर दिया. गौरतलब है कि बिहार विधान परिषद (MLC) की 24 सीटों के लिए होने वाले चुनाव को देखते हुए तेज प्रताप यादव ने अपने समर्थकों के लिए सीट की डिमांड रख दी थी. तेज प्रताप यादव ने कहा था कि MLC चुनाव में उन्हें अपने समर्थकों के लिए 25 फीसदी सीटें चाहिए.लालू के बड़े बेटे MLC की छह सीटें अपने समर्थकों के लिए चाहते हैं. तेजप्रताप यादव के खास प्रशांत यादव ने कहा कि अगर आरजेडी विधान परिषद की 6 सीटें छात्र जनशक्ति परिषद को देती है तो छात्र जनशक्ति परिषद का पूरा समर्थन आरजेडी के बाकी उम्मीदवारों को मिलेगा.
तेजप्रताप यादव ने यहांतक कह दिया है कि आरजेडी को समझना चाहिये कि श्रीकृष्ण रूपी तेज प्रताप यादव के बिना जीत असंभव है. इसका सबूत दो सीटों पर हुए विधानसभा के उपचुनाव में मिल चुका है. कुछ दिनों पहले तारापुर और कुशेश्वरस्थान सीट पर उपचुनाव हुआ था, जिसमें आरजेडी की हार हो गयी थी. तेजप्रताप समर्थक कह रहे हैं कि कृष्ण की नाराजगी के कारण आरजेडी की हार हुई थी. लेकिन तेजस्वी यादव ने उनकी इस मांग को नजर-अंदाज कर ये साबित कर दिया है कि वो किसी के दबाव में नहीं आनेवाले.
लेकिन तेजस्वी यादव अपने बड़े भाई की इस मांग और धमकी से बेपरवाह नजर आ रहे हैं. अभी कांग्रेस के साथ कोई समझौता नहीं हुआ है और इस बीच तेजस्वी यादव ने 24 में से 9 उम्मीदवारों के नाम की सूची फाइनल कर दी है. उन्होंने जिन उम्मीदवारों का नाम फाइनल किया है उनमें वैशाली से सुबोध कुमार, औरंगाबाद से अनुज कुमार सिंह, रोहतास से कृष्ण कुमार सिंह, गया से रिंकू यादव, भोजपुर से अनिल सम्राट, दरभंगा से उदय शंकर यादव, सीतामढ़ी से खब्बू खरियार, और पश्चमी चंपारण से इंजीनियर सौरभ कुमार के नाम शामिल हैं.एकबार फिर से उन्होंने कांग्रेस के साथ साथ अपने बड़े भाई को औकात दिखा दिखा दिया है.