सिटी पोस्ट लाइव : उत्तर में विधान सभा चुनाव की तैयारी जोरशोर से चल रही है. योगी दुबारा सत्ता में लौटने के लिए जोर लगा रहे हैं वहीं विपक्षी दल उन्हें सत्ता से बेदखल करने को लेकर बेहद आश्वस्त हैं. उनके आश्वस्त रहने की वजह है यूपी चुनाव से जुडी मान्यताएं. पछले 36 साल से कायम अन्धविश्वास विपक्ष के आत्म-विश्वास का कारण है . यूपी में लगातार दूसरी बार प्रदेश के सीएम केवल एनडी तिवारी ही रहे हैं. 1985 से कोई भी राज्य में लगातार दूसरी बार सीएम नहीं बना .इसलिए विपक्ष मानकर चल रहा है कि सत्ता परिवर्तन तय है.
लेकिन योगी uttar प्रदेश के पिछले 36 साल के रिकॉर्ड को तोड़ने के लिए ऐड़ी छोटी का जोर लगा रहे हैं. अन्धविश्वास और मान्यताओं से बेखबर योगी इसबार दुबारा सीएम बनकर रिकॉर्ड तोड़ना चाहते हैं.वैसे योगी पहले ही कई तरह के रिकॉर्ड और ट्रेंड तोड़ चुके हैं. मसलन, उनसे पहले बीजेपी का कोई भी सीएम प्रदेश में तीन साल से ज्यादा का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका. बीजेपी के अलग-अलग वर्षों में 4 सीएम बने. कल्याण सिंह ने दो बार और राम प्रकाश गुप्ता व राजनाथ सिंह ने एक-एक बार प्रदेश की कमान संभाली। हालांकि, इनमें से कोई भी लगातार 3 साल से ज्यादा कुर्सी पर नहीं रहा.
बीजेपी ने राज्य में अपनी पहली सरकार 1991 में बनाई थी. तब वह पूर्ण बहुमत के साथ आई थी. कल्याण सिंह ने 24 जून, 1991 को शपथ ली थी. वह 6 दिसंबर 1992 तक इस पद पर रहे. बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद कल्याण सरकार बर्खास्त हो गई. अगर बाबरी मस्जिद का विध्वंस नहीं हुआ होता तो कल्याण सरकार सत्ता में बनी रहती.इसके बाद राज्य में अन्य दलों के समर्थन से बीजेपी की सरकार बनी. राजनीति ने करवट ली. कल्याण सितंबर 1997 में फिर से मुख्यमंत्री बने और नवंबर 1999 तक बने रहे. अगर कल्याण के दोनों कार्यकाल शामिल कर लिए जाएं तो उनका कुल कार्यकाल तीन साल से अधिक हो जाएगा लेकिन वो लगातार तीन साल तक कुर्सी पर नहीं रहे.
कल्याण के इस्तीफे के बाद राम प्रकाश गुप्ता 12 नवंबर 1999 को मुख्यमंत्री बने और वो 28 अक्टूबर 2000 तक पद पर रहे. यानी एक साल से भी कम समय के लिए वह मुख्यमंत्री रहे. उनके बाद राजनाथ सिंह 28 अक्टूबर 2000 से 8 मार्च 2002 तक मुख्यमंत्री रहे. उनका कार्यकाल भी सीमित था. इस तरह पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले योगी राज्य में बीजेपी के पहले सीएम हैं.प्रदेश के सिटिंग सीएम की नोएडा जाने में जान सूखती रही है. इसे कैसे मनहूस माना जाने लगा इसके पीछे दिलचस्प कहानी है. बात जून 1988 की है. नोएडा से लौटने के कुछ दिनों बाद तत्कालीन सीएम वीर बहादुर सिंह को पद छोड़ना पड़ा था. इसके बाद ‘नोएडा के मनहूस’ होने की जड़ें जमने लगीं. ऐसी धारणा है कि एनडी तिवारी (1989), मायावती (1997 में सत्ता गंवाई) और कल्याण सिंह (1999) नोएडा का दौरा करने के बाद कार्यालय से बाहर हो गए थे.
पूर्व सीएम अखिलेश यादव तो नोएडा से इतना खौफ खा गए कि उन्होंने 2013 में नोएडा में आयोजित एशियाई विकास बैंक शिखर सम्मेलन तक में शिरकत नहीं की. इसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मुख्य अतिथि थे.यादव ने लखनऊ से रिमोट कंट्रोल के जरिये नोएडा में यमुना एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन भी किया था. जब दादरी लिंचिंग की घटना हुई, तो समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख ने मोहम्मद अखलाक के परिवार को उनसे मिलने के लिए लखनऊ बुलाया.उनसे पहले मुलायम सिंह यादव, कल्याण सिंह और राजनाथ सिंह जैसे नेता भी राज्य के मुख्यमंत्री रहते हुए नोएडा जाने से बचते थे.
लेकिन योगी ने नोएडा को ‘मनहूस’ नहीं माना. मुख्यमंत्री रहते उन्होंने कई बार नोएडा का दौरा किया. न तो उनकी कुर्सी गई न उन पर किसी तरह की आंच आई. उन्होंने इसे अंधविश्वास साबित किया. इंडस्ट्रियल हब की उनकी पहली यात्रा 23 सितंबर, 2017 को हुई थी. उन्होंने बॉटनिकल गार्डन-कालकाजी मैजेंटा मेट्रो लाइन के उद्घाटन के लिए पीएम मोदी की यात्रा से पहले व्यवस्था की जांच करने के लिए शहर का दौरा किया था. दो दिन बाद 25 सितंबर को वह पीएम मोदी के साथ मेट्रो लाइन का उद्घाटन करने पहुंचे थे.उन्होंने शहर के विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ कई बैठकें भी की थीं. 2018 में वह पीएम की यात्रा की व्यवस्था की निगरानी के लिए 8 जुलाई को नोएडा पहुंचे थे. एक दिन बाद वह नोएडा में सैमसंग की दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल फैक्ट्री के उद्घाटन के मौके पर शहर पहुंचे थे.
ऐसी ही कहानी आगरा के सर्किट हाउस से जुड़ी है. 2018 में योगी इस सरकारी आवास में रुके थे. उनसे पहले 16 साल तक इसमें कोई सीएम नहीं ठहरा. उनके पहले राजनाथ सिंह आगरा सर्किट हाउस में रुके थे. हालांकि, दुर्भाग्य से इस दौरे के कुछ समय बाद उनकी कुर्सी चली गई थी.आगरा सर्किट हाउस को लेकर मुख्यमंत्रियों में इतनी दहशत पैदा हो गई कि राजनाथ सिंह के बाद मुलायम सिंह यादव, मायावती और यहां तक अखिलेश यादव इसमें ठहरने की हिम्मत नहीं जुटा पाए. ये मुख्यमंत्री जब कभी ताज नगरी गए तो पांच सितारा होटलों में रुके.
सीएम योगी आदित्यनाथ को पूरा भरोसा है कि वह 36 साल पुराने ट्रेंड को इस बार तोड़ देंगे. अपनी चुनावी रैलियों में योगी दावा करते रहे हैं कि वह सत्ता में प्रचंड बहुमत के साथ लौटेंगे. पिछले साल एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था, ‘मैं वापस लौट रहा हूं जो पिछले तीन दशकों में नहीं हुआ वो अगले साल होगा.अलग-अलग ओपिनियन पोल में बीजेपी की सरकार को लौटते हुए ही दिखाया गया है. बीजेपी भी साफ कर चुकी है कि योगी आदित्यनाथ ही प्रदेश में उसका चेहरा हैं. ऐसे में चुनाव के बाद अगर बीजेपी सत्ता में लौटती है तो योगी फिर एक अंधविश्वास को हमेशा के लिए ख़त्म कर देने में सफल हो जायेगें