सिटी पोस्ट लाइव : कोरोना के संक्रमण की वजह से त्यौहारों के मौसम में संक्रमण का खतरा बहुत बढ़ा हुआ है.बिहार में कोरोना का टीकाकरण अभियान जोरशोर से चल रहा है.7 करोड़ से ज्यादा लोगों को टिका लग चूका है फिर भी छठ पूजा के दौरान संक्रमण का खतरा बना हुआ है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस दौरान होने वाला मेल-मिलाप और सामाजिक आदान-प्रदान फिर से कोविड को बढ़ा सकता है.लोक महापर्व में सबसे ज्यादा लोगों की भागीदारी और परंपराओं का पालन किया जाता है ऐसे में इस समय बहुत जरूरी है कि जो भी लोग सार्वजनिक जगहों पर जाएं वहां कोरोना अनुरूप व्यवहारों (Covid Appropriate Behaviour) का पालन जरूर करें.
स्वास्थ्य सेवा से जुड़े विशेषज्ञों ने आगाह करते हुए कहा है कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सामुदायिक भागीदारी की भी आवश्यकता होती है. ऐसे में अब आने वाले छठ पर्व (Chhath Parv 2021) के दौरान किसी भी तरह की लापरवाही से कोरोना के संक्रमण की संख्या में अचानक वृद्धि हो सकती है. यह उस लाभ को पटरी से उतार सकता है, जो भारत ने अब तक हासिल किया है. हमें यह याद रखना होगा कि कोरोना का वायरस अभी भी देश में और दुनिया के कई हिस्सों में मौजूद है.अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (All India Institute of Medical Sciences) देवघर के निदेशक डॉ सौरभ वार्ष्णेय का कहना है कि जब तक लोग जिम्मेदारी से काम नहीं करेंगे, घातक कोरोना को हराना असंभव है.
छठ पूजा जैसे त्यौहारों के दौरान बहुत अधिक मेल जोल और अनावश्यक रूप से यात्रा से बचना चाहिए. अगर हम अपनी सामाजिक सभा को कुछ महीनों तक सीमित कर सकते हैं, जब तक कि हमारी आबादी का एक बड़ा हिस्सा टीका नहीं लग जाता है, तो हम काफी हद तक संक्रमण के प्रसार को रोक सकते हैं. डॉ वार्ष्णेय का यह भी कहते हैं कि जहां जाना बेहद जरूरी है, तो हम मास्क पहननें, समय-समय पर हाथ धोते रहें. कोरोना वैक्सीन सबके लिए जरूरी है, इस संदेश को अधिकतम लोगों तक पहुंचाते रहें. एम्स (AIIMS) रायपुर के निदेशक डॉ नितिन नागरकर ने कहा कि लोगों को यह याद रखने की जरूरत है कि इस साल की शुरुआत में अप्रैल में ही मामले बढ़े थे, जिस महीने देश में महामारी की दूसरी लहर देखी गई थी. फरवरी में, देश लगभग 8000 मामलों की रिपोर्ट कर रहा था, लेकिन जैसे ही लोगें ने आपसी बातचीत में यह कहना शुरू कर दिया कि कोरोना तो अब न के बराबर है, लोग लापरवाह होते गए और नतीजा यह हुआ कि कोरोना खतरनाक रूप से बढ़ता गया. उन्होंने कहा कि वे लोगों से सतर्क रहने और कोविड के उचित व्यवहार का पालन करने का आग्रह करता हैं. लोगों को मास्क पहनना चाहिए और उत्सव मनाते समय भी भीड़भाड़ से बचना चाहिए.
दरअसल देश का लक्ष्य इस साल के अंत तक अपनी पूरी वयस्क आबादी वाले लोगों का कोविड टीकाकरण करना है. विशेषज्ञों का कहना है कि टीका गंभीर बीमारी और अस्पताल में भर्ती होने से 95 प्रतिशत से अधिक सुरक्षा प्रदान करता है. केंद्र सरकार की ओर से नवंबर में एक महीने के लिए हर घर दस्तक अभियान भी शुरू किया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जो लोग अपरिहार्य कारणों से अपनी दूसरी और पहली खुराक से चूक गए हों, उन्हें टीका उपलब्ध हो सके. इस अभियान की सराहना हो रही है. तमाम विशेषज्ञ सार्वजनिक उत्सव और त्यौहार में कोविड अनुरूप व्यवहार के पालन पर पूरा जोर दे रहे हैं. यह समय की मांग है.