सिटी पोस्ट लाईव : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कॉपीराइट के उल्लंघन मामले फंसते नजर आ रहे हैं. शिक्षाविद से नेता बने याचिकाकर्ता अतुल कुमार सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश कुमार को नोटिस जारी कर पूछा है कि आखिर उन्हें इस मामले में पक्षकार क्यों नहीं बनाया जाए ? गौरतलब है कि याचिकाकर्ता अतुल कुमार सिंह दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले से असंतुष्ट होकर सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर किया था जिसपर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के अंतरिम फैसले पर रोक लगाते हुए यह नोटिस सीएम् नीतीश कुमार को जारी किया है.
अपने कानूनी वाद में जेएनयू के पूर्व छात्र अतुल कुमार सिंह ने आरोप लगाया है कि पटना स्थित एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा अपने सदस्य सचिव शैबल गुप्ता के ज़रिये और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अनुमोदन से प्रकाशित पुस्तक उनके शोध कार्य का चुराया हुआ संस्करण है.सबसे फले यह मामला दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचा था . मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने आवेदन में कहा कि उनका अन्य प्रतिवादियों और पुस्तक ‘स्पेशल कैटेगरी स्टेटस: अ केस फॉर बिहार’ से किसी तरह का प्रत्यक्ष या परोक्ष संबंध नहीं है. नीतीश कुमार का तर्क था कि उन्होंने इस पुस्तक को केवल अनुमोदित किया है, लिखा नहीं है. बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा कि वाद को लेकर उनके ख़िलाफ़ कोई मामला नहीं बनता और उन्हें द्वेषपूर्ण मंशा से शर्मिंदा करने के लिए पक्षकार बनाया गया है.
लेकिन दिल्ली उच्च न्यायालय ने जेएनयू के पूर्व छात्र अतुल कुमार सिंह द्वारा कॉपीराइट के उल्लंघन पर एक कानूनी वाद से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का प्रतिवादी के रूप में नाम हटाने का अनुरोध ख़ारिज कर दिया और उन पर 20 हज़ार रुपये का जुर्माना लगाया था.संयुक्त रजिस्ट्रार संजीव अग्रवाल ने बुधवार को आदेश पारित करते हुए कहा था कि आवेदन कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है क्योंकि याचिकाकर्ता को प्रतिवादी चुनने का हक है. संयुक्त रजिस्ट्रार ने कहा कि नीतीश कुमार के ख़िलाफ़ मुक़दमा करने के पर्याप्त आधार हैं. उन्होंने कहा था कि नीतीश कुमार द्वारा वर्तमान अंतरिम आवेदन कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है. इसे बीस हज़ार रुपये के जुर्माने के साथ ख़ारिज किया जाता है.