सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में जहरीली शराब का कहर रुक नहीं रहा है. मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, बेतिया के बाद अब समस्तीपुर जिले में भी जहरीली शराब पीने से चार लोगों की मौत हो गई है. जबकि एक दर्जन से ज्यादा लोग अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती हैं. बिहार में पूरी तरह से शराबबंदी है। इसके बावजूद यहां कथित रूप से शराब पीने से 28 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके बावजूद प्रशासन लोगों की मौत के कारण को स्पष्ट नहीं कर रहा है। समस्तीपुर एसपी मानवजीत ढिल्लन ने बताया कि इसके पीछे जो भी लोग हैं, उनका पता लगाया जा रहा है।
बिहार में जहरीली शराब पीने से जनवरी से अबतक 70 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। ये सभी मौतें नवादा, पश्चिमी चंपारण, मुजफ्फरपुर, सीवान, रोहतास जैसे जिलों में हुई हैं। वहीं कई जगहों पर नकली शराब के सेवन से लोगों की आंखो की रौशनी तक चली गई है। ऐसा तब है जब बिहार में नितीश सरकार ने पांच अप्रैल 2016 में बिहार में शराब पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बावजूद शराबबंदी कानून लोगों को चिढाने के लिए ही साबित हुआ है.
इसे लेकर भाजपा के किसी मंत्री नेता ने कुछ भी नहीं कहा है. चाहे वो केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद हो या बिहार के पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी हो. जब दोनों से इसपर सवाल पूछा गया तो वो चुपचाप निकलते रहे. हालांकि जदयू ने इसपर अपनी प्रतिक्रिया जरुँर दी है. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने बड़ी बात कही है. उन्होंने कहा कि जहरीली शराब मामले की जांच की जा रही है। जो भी दोषी होंगे उनपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
साथ ही उन्होंने इस दौरान गोपालगंज कांड की चर्चा करते हुए कहा कि देखिए वहां कितने लोगों को सजा हुई। ललन सिंह ने कहा कि हत्या के लिए कानून है फिर भी मर्डर होता है। जांच के नाम पर खानापूर्ति के सवाल पर ललन सिंह ने कहा कि हत्या के लिए कानून में फांसी की सजा है फिर भी लोग हत्या करते हैं. पकड़ाते हैं तो फांसी होती है। कानून का उल्लंघन करिएगा तो फांसी होगी, सजा होगी। जो कानून में प्रावधान है लागू होगा। मतलब साफ़ है कि अगर पकड़े गए तो कानून सजा देगी.