पशुपति पारस को चिराग के करीबी सौरभ पांडेय ने दिया जबाव, तीन पन्नों की चिट्ठी की जारी

City Post Live - Desk

सिटी पोस्ट लाइव : लोक जनशक्ति पार्टी और परिवार में टूट के लिए पशुपति कुमार पारस अक्सर चिराग पासवान के करीबी सौरभ पांडेय को जिम्मेदार ठहराते रहे हैं. वाराणसी के निवासी और चिराग के राजनीतिक सलाहकार माने जाने वाले सौरभ ने जैसे जून में रामविलास पासवान द्वारा लिखी तीन पेज की चिट्ठी के जरिए पारस और उनके सहयोगियों को जवाब दिया था.  वैसा ही जबाव एकबार फिर उन्होंने तीन पन्नो की चिठ्ठी लिखकर दी है. सौरभ पांडेय ने इस चिट्ठी को ट्वीटर पर शेयर करते हुए लिखा कि आदरणीय पशुपति पारस जी इस पत्र को मैं लिखना और सार्वजनिक करना नहीं चाहता था। लेकिन आपने सार्वजनिक रूप से कई बातें बेहद ग़ैरज़िम्मेदारी व बेवजह कही है. इस लिए मुझे मजबूरन इस पत्र को सार्वजनिक करना पड़ रहा है।

सौरभ पांडेय ने चिट्ठी के जरिये पशुपति पारस को ये बताया है कि चिराग ने विधानसभा चुनाव में खुद की मर्जी से NDA का साथ छोड़कर अकेले चुनाव में नहीं कूदे. इसके पीछे पार्टी का सहयोग था. सौरभ पांडेय ने  लिखा है कि बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट की शुरुआत रामविलास पासवान जी के मौजूदगी में ही शुरू हुई. इसे लेकर पटना के गांधी मैदान में रैली का आयोजन था. जिसमें खुद रामविलास पासवान जी शामिल होने वाले थे. लेकिन कोरोना की वजह से वो टल गया. उन्होंने लिखा है कि  बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट से प्रेरित चिराग पासवान कोई समझौता नहीं करना चाहते थे. यही वजह है कि आज बिहार की जनता उन्हें इतना प्यार करती है.

पूरी चिट्ठी

आदरणीय पशुपति चाचा जी.

आशा करता हूँ कि आप स्वस्थ होंगे। इस पत्र को मैं लिखना नहीं चाहता था लेकिन | आपके द्वारा लगातार गैर ज़िम्मेदार व बेवजह मेरे ऊपर शब्दों के बाण छोड़े जा रहे हैं, जो कहीं से भी प्रासंगिक नहीं है। आपके द्वारा कई बार मेरे ऊपर बोलने के बावजूद मैंने कभी कुछ नहीं कहा। स्वर्गीय राम विलास पासवान जी का देहांत हुए और बिहार चुनाव समाप्त हुए लगभग एक वर्ष हो चुका है। मैंने बिहार को ना सिर्फ अपनी आखों से बल्कि स्वर्गीय राम विलास पासवान जी की भी आखों से देखा है। पिछला बिहार चुनाव मैंने व हम सबने राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए बिहार फर्स्ट की प्रतिज्ञा के साथ लड़ा था। बिहार फर्स्ट के मूल में भारत फर्स्ट छिपा हुआ है। जिस दिन बिहार फ़र्स्ट बन जाएगा भारत स्वतः फर्स्ट होगा। मेरी इस सोच पर अध्ययन कर मैंने बिहार फर्स्ट बिहारी फ़र्स्ट डॉक्यूमेंट बनाया था, जिसकी चर्चा रोज़ हर बिहारी करता है। बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट की सोच से स्वर्गीय रामविलास पासवान जी व चिराग पासवान जी प्रभावित थे, जिसके कारण केंद्र में मंत्री की गद्दी को लात मार कर के बिहार के लिए अकेले लड़ने का फैसला लिया। 14 अप्रैल 2020 को गांधी मैदान में प्रस्तावित रैली स्वर्गीय रामविलास जी के सानिध्य में बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट विज़न 2020 को जारी होना था, लेकिन कोरोना लॉकडाउन लगने के कारण कार्यक्रम स्थगित हो गया।

हमें अपनी बात और सोच बिहार के सभी लोगों तक पहुँचानी थी, जिसमें हम 100 फ़ीसदी कामयाब हुए। हमें पहली बार जो वोट मिला वह हमारी सोच पर मिला ना कि किसी के साथ गठबंधन होने के कारण। मैं इस बात को जानता हूँ कि बिहार विधान सभा चुनाव में जो गठबंधन हुए वह मात्र खुद जीतने के लिए हुए उन गठबंधनों के बनने से बिहार को कोई लाभ नही हुआ। “बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट” से प्रेरित होने के कारण चिराग पासवान जी ने कोई समझौता नहीं किया और केंद्र में मंत्री बनने की भी परवाह नहीं की। चिराग पासवान जी “बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट” के लिए संकल्पित दिखें जिसके कारण आज बिहार की जनता उनके साथ है व चिराग जी लोकप्रिय नेता बन रहे हैं। उनके पिता मुझसे अक्सर कहा करते थे कि एम० पी० एम० एल० ए० हज़ारों होते हैं लेकिन नेता कोई-कोई होता है। मुझे खुशी है कि उनका बेटा आज नेताओं की श्रेणी में आ रहा है। मुझे पूरा विश्वास है कि अब चिराग पासवान जी वहाँ पहुँचेंगे जहाँ उन्हें उनके पिता देखना चाहते थे, जिसका ज़िक्र खुद स्वर्गीय राम विलास पासवान जी ने कई बार मुझसे किया था व अपने हाथों से मुझे लिखे गए पत्रों में भी लिखा था।

पिछले बिहार विधान सभा चुनाव के ठीक पहले स्वर्गीय राम विलास पासवान जी की मृत्यु हो चुकी थी और चिराग पासवान जी अकेले थे, यहाँ मेरी ज़िम्मेवारी थी कि मैं अपने मित्र व भाई का सही मार्गदर्शन करूँ जिसमें उसकी भलाई हो और बिहार की भी भलाई हो। बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट डॉक्यूमेंट बेहद कड़े अध्ययन के बाद काफी समय लगा कर बना है, आपसे विनती है कि आपको जब समय मिले तो आप भी इसको ज़रूर पढ़िएगा ताकि उसकी कुछ बातों को आप मंत्री बने रहते अमल करा सके। आपको इसको पूरा पढ़ने के बाद बिहार फर्स्ट डॉक्यूमेंट पर गर्व होगा। आप मुझसे बड़े हैं, अनुभवी हैं। मैंने कभी आपका अनादर नहीं किया। पिछले 8 वर्षों में मेरी आपसे कोई सीधी बात नहीं हुई। सिर्फ आपसे मुस्कुरा के मिलना व आपसे आशीर्वाद लेने के सिवाय किसी विषय पर कभी कोई चर्चा की हो ऐसा मुझे याद नहीं आता। सिर्फ एक बार की बात मुझे याद है। जहां आपने मुझे अपने घर बुला कर कृष्ण राज को भाजपा से टिकट दिलवाने की बात की ताकि वह सुरक्षित जीत सकें जिस पर मैंने आप को चिराग भैया से बात करने की सलाह दी थी। इस घटना के सिवाय मेरी आपसे कभी और कोई बात नहीं हुई है। आपने भी मुझसे कभी नहीं बोला कि मुझसे आपको कोई शिकायत है। पिछले बिहार विधान सभा चुनाव में श्री सूरजभान सिंह जी व श्री प्रिंस राज जी ने चुनाव प्रचार किया व आप पूरे चुनाव बिहार फर्स्ट मुहिम से अलग रहे चुनाव में पार्टी से लड़े प्रत्याशी आज भी दिन रात आशीर्वाद यात्रा को सफल बनाने में काम कर रहे हैं। इन्हीं मजबूत प्रत्याशियों नें नेता के प्रति समर्पित कार्यकर्ताओं ने व बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट सोच ने यात्रा को सफल बनाया है।

समाचार के माध्यम से आपके द्वारा मेरे ऊपर बोले जाने की खबर लगातार मिलती रही है जिस पर मैंने कभी कुछ नहीं बोला, लेकिन अब स्वर्गीय राम विलास पासवान जी की बरसी बीत जाने बाद मुझे लगा कि मैं अपनी स्थिति स्पष्ट कर दूँ ताकि आप आगे से बेवजह कुछ बोलने से बचेंगे। पिछले बिहार विधान सभा चुनाव में एन०डी०ए० द्वारा लोजपा को गठबंधन में मात्र 15 सीट दिए जाने की बात से चिराग पासवान जी ने आप सभी को अवगत करवाया था, जिसके बाद आप सभी भी 15 सीट पर नहीं लड़ना चाहते थे जिसका लिखित व विडीओ प्रमाण भी कार्ययालय के पास मौजूद है। 15 सीट पर चुनाव लड़कर क्या बिहार फ़र्स्ट बिहारी फ़र्स्ट की बलि चढ़ा देनी चाहिए थी ? क्या यह उचित होता ? चिराग पासवान जी आपका सम्मान अपने पिता से कम नहीं करते हैं। उनकी माता के भी मुंह से आपके लिए हमेशा मैंने अच्छा सुना था । मात्र राजनीति में गठबंधन किससे हुआ-किससे नहीं हुआ, इस बात पर आप पारिवारिक दूरी बना लें यह उचित नहीं दिखता। स्वर्गीय रामविलास पासवान जी के रहते हुए कई ऐसी घटनायें मेरे सामने गुज़री है जिसका मैं ज़िक्र नहीं करना चाहता। आपके शब्द मुझे ठेस पहुँचाते हैं। इस पत्र में मेरी कही कोई बात अगर बुरी लगी हो तो कृपया कर मुझे माफ़ कर देंगे। आपने मुझे सभी बातें सार्वजनिक रूप से कही है इसलिए यह पत्र मुझे सार्वजनिक करना पड़ रहा है।

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