सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में एक तरफ नवरात्र का जश्न देखने को मिल रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ बिजली संकट ने फीका कर दिया है. प्रदेश के 6 जिलों में कई घंटों की बिजली कटौती की जा रही है. केंद्र से बिहार को 4500 मेगावाट बिजली मिलती है, लेकिन इस बार 3200 मेगावाट ही मिली है। इसकी वजह से छोटे शहरों में बिजली संकट अभी से दिखाई देने लगा है। बिहार के आधा दर्जन से अधिक जिलों में घंटों तक लोड-शेडिंग हो रही है। बता दें देश में बिजली उत्पादन प्रभावित हुआ है और उसका असर बिहार पर भी दिखने लगा है। ज्यादा असर उत्तर बिहार में देखने को मिल रहा है। यहां के छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में कई घंटे बिजली बाधित रही।
बताते चलें इस बिजली संकट का मुख्य कारण कोयला बताया जा रहा है. देश में करीब 72 फीसदी बिजली की मांग कोयले की तैयार की गई बिजली से पूरी होती है। बीते कुछ महीनों से कोयले की घरेलू कीमतों और अंतरराष्ट्रीय कीमतों में बड़ा अंतर देखने को मिल रहा है। यही वजह है कि देश में कोयले का आयात प्रभावित हुआ है और बिजली का उत्पादन कम हो गया है। जिसकी वजह से बिहार में भी बिजली संकट गहराता जा रहा है. हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कह रहे हैं कि बिजली संकट को दूर करने के लिए सरकार हर प्रयास कर रही है. यदि स्थिति नहीं सुधरी तो ओपन मार्किट से बिजली खरीदी जाएगी.
जानकारी के अनुसार फिलहाल कई जिलों को कम बिजली दी जा रही है. सहरसा को 50 की जगह 35 MW; मधेपुरा को 100 के बदले 80 M; कटिहार को 120 के बदले 100 MW; किशनगंज को 60 के बदले 20 MW; पूर्णिया को 150 के बदले 110 MW; लखीसराय को 25 के बदले 20 MW; खगड़िया को 40 के बदले 15 MW; मुंगेर को 90 के बदले 70 MW; बांका को 100 के बदले 75 MW बिजली मिली है। जिन जिलों में घंटों लोडशेडिंग हुई है, उसमें औरंगाबाद , बक्सर, सारण, गोपालगंज, गया और जहानाबाद शामिल हैं। त्योहार के इस समय में बिहार को 6500 मेगावाट बिजली की जरूरत है, लेकिन उपलब्धता केवल 5700 मेगावाट है। इसमें से 3200 मेगावाट बिजली केन्द्रीय कोटे से मिली है और 1500 मेगावाट बिजली राज्य सरकार ने खुले बाजार से खरीद कर आपूर्ति की है।