कांग्रेस को ऐसे युवा नेता की तलाश, बिहार में कन्हैया बन सकते हैं कांग्रेस के खेवैया

City Post Live

सिटी पोस्ट लाइव : कन्हैया कुमार की राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस में इंट्री हो रही है. पहले से राष्ट्रिय राजनीती में मोदी विरोध की वजह से अपनी पहचान बना चुके बिहार के कन्हैया कुमार क्या बिहार कांग्रेस का चेहरा वे सकते हैं, इसको लेकर चर्चा चल रही है. जगन्नाथ मिश्र के हाथ से सत्ता जाने के बाद उस कद का कोई नेता कांग्रेस में नहीं दिखा.लालू प्रसाद ने जितनी सीटें चाहीं कांग्रेस के गठबंधन में उतनी सीटें चुनाव में मिलती थी. तारिक अनवर, शकील अहमद, रामजतन सिन्हा, अनिल शर्मा जैसे नेता रहे पर कांग्रेस की स्थिति बिहार में बदतर होती गई. अब बिहार कांग्रेस को तेज तर्रार युवा नेता की तलाश है.

बिहार विधान सभा में भाजपा की सीटे बढ़ती जा रही हैं और अब वह 74 पर पहुंच गई है जबकि कांग्रेस की सीटें घटती जा रही हैं. कांग्रेस 19 पर पहुंच गई है. इसलिए बिहार कांग्रेस को संभालने के लिए तेज तर्रार नेता की जरूरत है. कांग्रेस, कन्हैया कुमार को प्रदेश अध्यक्ष नहीं भी बनाती है तो वे कांग्रेस को यहां आकर मजबूत कर सकते हैं. कन्हैया जाति से भूमिहार हैं और पिछड़ी जाति का वोट बैंक बिहार में बड़ा है. इस लिहाज से वे कितना वोट दिला पाएंगे समय बताएगा. कांग्रेस सहित अन्य पार्टियों पर गौर करें तो बिहार कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ब्राह्मण हैं, विधायक दल के नेता अजीत शर्मा भूमिहार हैं. चुनाव कैंपेनिंग कमेटी के चेयरमैन अखिलेश सिंह भी भूमिहार हैं.

बिहार कांग्रेस का कोई नेता कन्हैया के विरोध में नहीं बोल रहा. कांग्रेस में आलाकमान के फैसले को चुनौती देने का कोई मतलब नहीं. लेकिन पार्टी में कहीं खुशी कहीं गम वाली हालत है. खुशी इसलिए की कन्हैया का प्रभाव बढ़ेगा तो बाकी मठाधीशों का घटेगा। गम उनमें है जो अभी पार्टी की व्यवस्था को यथावत रखना चाहते हैं.कांग्रेस में भक्त चरण दास को जब से प्रदेश प्रभारी बनाया गया है तब से एक्टिविटी बढ़ी है. लेकिन वे लगातार बिहार में नहीं रहते हैं.वो जब बिहार में रहते हैं पार्टी एक्टिव दिखती है लेकिन उनके जाते ही सबकुछ ठहर जाता है. 28 सितंबर को कांग्रेसी में शामिल हो सकते हैं और उन्हें बिहार में अहम् जिम्मेवारी मिल सकती है.

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