सिटी पोस्ट लाइव, खूंटी: किसी भी व्यक्ति के लिए 87 वर्ष की अवस्था कम थोड़े ही होती है। इस उम्र में अधिकतर लोग या तो चलने -फिरने से लाचार हो जाते हैं अथवा उनके देखने और सुनने समझने में परेशानी होने लगती है, पर जो सच्चे कर्मयोगी होते हैं। उनके लिए उम्र कोई मायने नहीं रखती है। ऐसे ही एक कर्मयोगी हैं पद्मभूषण कड़िया मुंडा। सादा जीवन उच्च विचार की प्रेरणा लोग कड़िया मुंडा से लेते हैं।
आठ बार लोकसभा सांसद, विधायक केंद्र में मंत्री और लोकसभा के पूर्व उपाध्यक्ष कड़िया मुंडा को सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में योगदान के लिए पद्मभूषण सम्मान से अलंकृत किया है। अभी कड़िया मुंडा उम्र के 87वें पड़ाव पर हैं। इसके बाद भी जनजातीय समाज के विकास और शिक्षा के प्रसार प्रचार में उनकी सक्रियता देखते ही बनती है। सक्रिय राजनीति में आने से पहले वे पेशे से शिक्षक थे। शिक्षक के गुण आज भी उनमें विद्यमान हैं। यही कारण है कि उन्होंने अब तक श्रीहरि वनवासी विकास समिति, आदिम जाति सेवक संघ और टीसीआई डीएवी सहित कई स्कूलों की स्थापना करायी। इन स्कूलों की देखरेख और समस्याओं के निराकरण में कड़िया मुंडा आज भी सक्रिय योगदान देते हैं।
वनवासी कल्याण केंद्र, श्री हरि वनवासी विकास समति द्वारा संचालित स्कूलों की स्थापना उन्होंने सालेहतु, उलिहातू, कोड़ाकेल सहित कई जगहों पर करायी। कड़िया मुंडा का साफ कहना है कि शिक्षा और चिकित्सा करोड़पति और कौड़ीपति सभी के लिए समान होना चाहिए। कोई बच्चा सिर्फ इसलिए अच्छी शिक्षा से वंचित न हो कि उसके माता पिता गरीब हैं। गरीबों को भी अच्छी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले, इसी उद्देश्य को लेकर उन्होंने कई जगहों पर स्कूलों की स्थापना करायी है। उनकी देखरेख में अनाथ बच्चों के लिए भी शिक्षा की व्यवस्था की जा रही है।
कड़िया मुंडा सालेहातू गांव में संचालित बिरसा शिशु मंदिर का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि कुछ साल पहले इस स्कूल में मात्र 35 विद्यार्थियों का नामांकन हुआ था, पर स्कूल की गुणवत्ता के कारण अभी उस स्कूल में 360 छात्र छात्राओं ने नामांकन कराया है।
जनजातीय संस्कृति और परंपरा की रक्षा के लिए लगातार संघर्षरत
पद्मभूषण कड़िया मुंडा पिछले 60-65 वर्षों से जनजातीय समाज की संस्कृति और परंपरा को बचाने के लिए लगातार संघर्षरत हैं। उन्हें इस का काफी दु:ख है कि चिकित्सा और शिक्षा को माध्यम बनाकर ईसाइयों द्वारा इस क्षेत्र में धर्मांतरण कराया जा रहा है। वे कहते हैं कि कुछ लोगों द्वारा सरना संस्कति और परंपरा को नष्ट करने के लिए इस पर लगातार हमले हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें हर हाल में अपनी संस्कृति को बचाकर रखना है।
शिशु मंदिर के लिए सहयोग की अपील
सालेहातू में संचालित बिरसा शिशु मंदिर के संचालन के लिए लोकसभा के पूर्व उपाध्यक्ष कड़या मुंडा ने सभी से सहयोग की अपील की है। उन्होंने कहा कि कुर्सी, टेबल, पंखे, पुस्तक, पठन सामग्री या अन्य माध्यमों से भी विद्यालय को सहयोग दिया जा सकता है। इसके लिए मोबाइल नंबर 9431108665 ,9431195784 पर संपर्क किया जा सकता है।