बिहार कांग्रेस अध्यक्ष की रेस में सबसे आगे कौन और क्यों है विरोध ?

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सिटी पोस्ट लाइव : बिहार कांग्रेस की कमान किसी दलित चेहरे को सौंपने की तैयारी चल रही है। विधायक राजेश राम का नाम सबसे आगे माना जा रहा है। हालांकि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कई वरिष्ठ नेताओं ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि प्रदेश अध्यक्ष के चयन में सिर्फ जाति नहीं, बल्कि संगठन एवं नेतृत्व की क्षमता तथा वोटबैंक के मुख्य आधार को महत्व दिया जाना चाहिए।

सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस दलित समुदाय से आने वाले अपने विधायक राजेश राम को प्रदेश इकाई का नया अध्यक्ष नियुक्त कर सकती है तथा उनके साथ सात-आठ कार्यकारी अध्यक्ष भी बना सकती है। उल्लेखनीय है कि पिछले साल बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद मदन मोहन झा ने बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की थी। पार्टी उस चुनाव में राजद और वाम दलों के साथ गठबंधन में 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ी थी, लेकिन उसे सिर्फ 19 सीटों पर जीत मिली थी।

कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक पार्टी के प्रदेश प्रभारी भक्त चरण दास औरंगाबाद जिले की कुटुम्बा विधानसभा सीट से विधायक राजेश राम को बिहार प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपने के पक्ष में हैं और जल्द ही इसकी आधिकारिक घोषणा हो सकती है।हालांकि, इस पर आखिरी फैसला सोनिया गांधी और राहुल गांधी को करना है। उन्होंने कहा कि यदि दलित नेता को अध्यक्ष बनाया जाता है तो कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर सवर्ण, पिछड़े, अति पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं को प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। कुल मिलाकर सभी वर्गों एवं क्षेत्रों को साथ लेकर चलने का प्रयास होगा।

हालांकि इस फैसले पर पार्टी की भीतर कही न कही विरोध के स्वर भी उठते दिख रहे हैं। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य किशोर कुमार झा का दावा है कि नये अध्यक्ष के चयन को लेकर प्रदेश प्रभारी के स्तर पर प्रदेश नेताओं के साथ कोई विचार-विमर्श नहीं हुआ है। झा ने कहा कि मेरा मानना है कि ऐसे किसी व्यक्ति को अध्यक्ष बनाना चाहिए, जो सबको साथ लेकर चल सके। इसके लिए पहले नेताओं के साथ विचार-विमर्श होना चाहिए। कोई भी एकतरफा फैसला पार्टी के हित में नहीं होगा।

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