City Post Live
NEWS 24x7

पटना हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद अब आसान नहीं होगा बिहार में जमानत लेना.

-sponsored-

- Sponsored -

-sponsored-

सिटी पोस्ट लाइव : जमानत के मामलों में अपराधी अक्सर अपना अपराधिक रिकॉर्ड छुपा लेते हैं.लेकिन अब वैसा नहीं कर पायेगें. आपराधिक इतिहास छिपाकर जमानत लेने वाले आरोपियों की नकेल कसने के लिए पटना हाई कोर्ट ने निचली अदालत को किसी को जमानत देने से पहले आरोपी का लोक अभियोजक या अनुसंधानकर्ता से उसके आपराधिक इतिहास की पूरी जानकारी लेने का निर्देश दिया है.निचली अदालतों को यह दर्ज करना होगा की आरोपी के खिलाफ पहले से कितने आपराधिक मामले दर्ज हैं. हाई कोर्ट ने साफ कर दिया कि निचली अदालत अब लोक अभियोजक या पुलिस पदाधिकारियों से मिले आपराधिक इतिहास एवं अन्य जरूरी मापदंडों के आधार पर ही आरोपित की जमानत याचिका को मंजूर या खारिज करेगी.जाहिर है अब अब जमानत लेना आसान नहीं होगा.

न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद की एकलपीठ ने अनिल बैठा की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया है.गौरतलब है कि इस मामले में आरोपी ने अपने दस से अधिक आपराधिक इतिहास को छिपाते हुए अदालत के समक्ष जमानत अर्जी दी थी. इस पर कोर्ट संज्ञान लेते हुए मामले की जांच करा धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज करने का आदेश दिया है.हाईकोर्ट ने इस आदेश की प्रति सभी जिला न्यायालयों को देने का भी निर्देश दिया है.

गौरतलब है कि पटना हाई कोर्ट ने साफ कर दिया है कि अब प्रत्येक निचली अदालत को किसी भी जमानत अर्जी की सुनवाई के दौरान आरोपी का लोक अभियोजक या अनुसंधानकर्ता से उसके आपराधिक इतिहास की पूरी जानकारी लेनी होगी. अब निचली अदालतों मे जमानत अर्जी की सुनवाई में लोक अभियोजक या अनुसंधानकर्ता को आरोपी का आपराधिक इतिहास देना होगा. इससे आपराधिक इतिहास छिपाकर जमानत लेना आसान नहीं होगा.

- Sponsored -

-sponsored-

Subscribe to our newsletter
Sign up here to get the latest news, updates and special offers delivered directly to your inbox.
You can unsubscribe at any time

- Sponsored -

Comments are closed.