विशेष : बालिका आश्रय गृह को वेश्यालय बना देने की साजिश किसकी, यौन शोषण का असली गुनहगार कौन?

City Post Live

मुजफ्फरपुर बालिका आश्रय की लड़कियों ने नेताओं और अधिकारियों पर यौवन शोषण का आरोप लगाया है. लेकिन हैरत आजतक पुलिस ने ईन नेताओं और धिकारियों के नाम का खुलासा नहीं किया है . महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अब मुजफ्फरपुर आश्रय गृह में सेक्स-रैकेट चलाए जाने की शिकायत मिलने के बाद वहां की लड़कियों को वहां से मुक्त कराकर दूसरे बालिका आश्रय गृह में भेंजने का फैसला लिया है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल कि क्या दूसरे बालिका आश्रय गृह जहाँ ये लड़कियाँ भेंजी जा रही हैं,वह इनके लिए सुरक्षित है? 

सिटी पोस्ट लाईव : मुजफ्फरपुर के सरकारी महिला  आश्रय गृह की यौन शोषण का खुलासा होने के बाद एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है –क्या बिहार के सरकारी महिला आश्रय गृह को सरकारी वेश्यालय बना देने की गिनौनी शाजिष चल रही थी ? क्या मुजफ्फरपुर के अलावा दूसरे सरकारी महिला आश्रयों में महिलाओं की आबरू सुरक्षित है ? ये प्रशन इसलिए भी स्वाभाविकरूप से उठ रहे हैं क्योंकि बालिका आश्रय गृह को सरकारी वेश्यालय बना देने की शाजीष राज्य में पहलीबार नहीं हुई है. इसके पहले भी 2007 के आसपास पटना के एक स्थानीय हिंदी दैनिक प्रत्यूष नवबिहार ने पहले पन्ने पर लीड स्टोरी छापी थी जिसका शीर्षक था-“ महिला रिमांड होम बना सरकारी वेश्यालय “. तब श्याम रजक ने विधान सभा में अखबार की प्रति लहराकर सरकार को घेरने की कोशिश की थी.तब श्याम रजक आरजेडी के विधायक थे,आज वो जेडीयू के साथ हैं.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तब इसे बेहद गंभीरता से लिया था .तत्काल मामले की जांच कराकर वर्षों से रिमांड होम में पड़ी लड़कियों को रिहा करा देने का आदेश दे दिया था.

दरअसल ,रिमांड होम में ज्यादातर अच्छे घरों की पढी लिखी सुन्दर लड़कियाँ हैं. प्रेम प्रसंग में फंसने के कारण उन्हें यहाँ आना पड़ा. ज्यादातर प्रेम प्रसंग के मामलों में लड़की के पिता लड़की के प्रेमी पर किडनैपिंग का मामला दर्ज करा देते हैं. पकडे जाने पर लडके को जेल हो जाती है और लड़कियों को रिमांड होम भेंज दिया जाता है. रिमांड होम एकबार जाने के बाद बाहर निकल पाना ईन लड़कियों के लिए मुश्किल होता है. ज्यादातर परिवार प्रेम करने की सजा देने के तौर पर अपनी बेटियों को रिमांड होम में ही छोड़ देते हैं और फिर वर्षों से रिमांड होम में पडी ईन लड़कियों का यौन शोषण का सिलसिला शुरू हो जाता है. पहले कर्मचारी करते हैं, फिर अधिकारी और फिर ये एक धंधे के रूप में आगे बढ़ जाता है.

मुजफ्फरपुर बालिका आश्रय की लड़कियों ने नेताओं और अधिकारियों पर यौवन शोषण का आरोप लगाया है. लेकिन हैरत आजतक पुलिस ने ईन नेताओं और धिकारियों के नाम का खुलासा नहीं किया है. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अब मुजफ्फरपुर आश्रय गृह में सेक्स-रैकेट चलाए जाने की शिकायत मिलने के बाद वहां की लड़कियों को वहां से मुक्त कराकर दूसरे बालिका आश्रय गृह में भेंजने का फैसला लिया है. मंत्रालय ने ट्वीट किया है, ” मुजफ्फरपुर में लड़कियों के एक आश्रय गृह में सेक्स रैकेट चलाये जाने संबंधी सूचना पर तुरंत कार्रवाई करते हुए हमने उसकी बिहार राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग से जांच करायी. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को 12 जून को भेजे गये पत्र में बिहार राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष हरपाल कौर ने बताया कि 46 नाबालिग लड़कियों को अन्य आश्रय गृहों में भेजा गया है. उनकी काउंसलिंग की जा रही है. मंत्रालय ने लोगों से सतर्क रहने और कोई भी संदेह होने पर शिकायत करने को कहा है. उसने बिहार के सभी जिलाधिकारियों को आश्रय गृहों का औचक निरीक्षण करने का निर्देश दिया है.

लेकिन सबसे बड़ा सवाल कि क्या दूसरे बालिका आश्रय गृह जहाँ ये लड़कियाँ भेंजी जा रही हैं, वह इनके लिए सुरक्षित है? सिटी पोस्ट लाईव की रिपोर्ट के अनुसार मुजफ्फरपुर ही नहीं बल्कि मोतिहारी और भागलपुर की महिला रिमांड होम से भी गंभीर शिकायतें आई हैं. वो शिकायतें जांच के बाद मुजफ्फरपुर से भी ज्यादा गंभीर साबित हो सकती हैं. लेकिन बदनामी के डर से अभीतक पुलिस और प्रशासन ने उन रिमांड होम के बारे चुप्पी साध रखी है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार मुजफ्फरपुर के साथ ही ईन दो जिलों के बालिका आश्रय गृह के बारे में शिकायत आई थी. लेकिन मोतिहारी में उस समय एसपी के मौजूद नहीं होने की वजह से तुरत जांच शुरू नहीं हो पाई. लेकिन  फिर तो सवाल और भी बड़ा हो जाता है. ”क्या एसपी छुट्टी पर रहेगें तबतक जांच शुरू नहीं होगी? क्या एसपी की जगह डीएम मामले की जांच नहीं कर सकते या फिर मामले पर पर्दा डालने की कोशिश हो रही है? कुछ तो झोल है औरिसकी जांच होगी तभी सच्चाई सामने आयेगी.

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