सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 7.14 लाख लोग कोराना से गंभीर रूप से बीमार हुए. इनमें 98.6% ठीक हो गए और उनमे कोरोना से लड़ने वाली एंटीबॉडी विकसित हो गई. लेकिन,14 जून से 6 जुलाई के बीच हुए सीरो सर्वे के नतीजों के आधार पर आंकें तो सूबे की तीन-चौथाई यानी करीब 8.76 करोड़ लोगों में कोरोना से लड़ने वाली एंटीबॉडी विकसित हो चुकी है. गौरतलब है कि देश के 21 राज्यों के 70 जिलों में हुए चौथे सीरो सर्वे में बिहार के 6 जिले शामिल थे और राज्य का सीरो औसत 73% पाया गया, जबकि राष्ट्रीय औसत 67.6% रहा.
इस सर्वे का मकसद यह पता लगाना था कि देश/राज्य के किस हिस्से में कितने लोगों में महामारी से लड़ने लायक एंटीबॉडी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) विकसित हुई है. सर्वे के अनुसार प्रदेश में सबसे अधिक 83.8% बक्सर के लोगों में इम्युनिटी विकसित हुई है. मधुबनी 77.1 फीसदी, अरवल 73.7, बेगूसराय 72.7, मुजफ्फरपुर 65.3 और पूर्णिया के 65% लोगों में कोरोना से लड़ने वाली इम्युनिटी पाई गई है। राज्य में इन्हीं छह जिलों में चार चरणों में सीरो सर्वे हुआ है.
चौथे चरण का सर्वे इसी वर्ष 14 जून से 06 जुलाई के बीच हुआ. सैंपल जांच के लिए चेन्नई के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी को भेजा गया था. यह पहला मौका था जब तीसरी लहर के आशंका के मद्देनजर चौथे चरण के सीरो सर्वे में व्यस्कों के अलावा छह साल से अधिक उम्र के बच्चों को भी शामिल किया गया था. प्रत्येक जिले से 500 सैंपल लिया गया था. इसमें 400 सैंपल आमलोगों से लिया गया था जबकि 100 सैंपल स्वास्थ्य कर्मियों का था। पहले दो सर्वे बीते साल मई और अगस्त में हुए थे. इसमें सिर्फ व्यस्कों को शामिल किया गया था.
पहले पहले चरण के सीरो सर्वे में मुजफ्फरपुर शून्य फीसदी पर था जबकि बक्सर में 1.25%, अरवल 1%, मधुबनी 1%, पूर्णिया 0.75% और बेगूसराय 0.25% था। दिसंबर में हुए सीरो सर्वे में अरवल में 26.20% बक्सर में 26.07%, मधुबनी 24.5%, मुजफ्फरपुर 21.70%, पूर्णिया 21.01% और बेगूसराय 15.01% था.पटना में बीते वर्ष सितंबर में सीरो सर्वे हुआ था. जिसमें कुल सात फीसदी लोगों में एंटीबॉडी बनी थी. इसमें शहरी क्षेत्र से 1560 और ग्रामीण इलाके से 1560 सैंपल की जांच हुई थी.
राज्य के 7.14 लाख करोना मरीजों में सर्वाधिक 1.46 लाख पटना में ही मिले हैं. यहां 80% शहरी लोगों को टीका भी लग चुका है. एम्स,पटना के मेडिसिन विभाग के हेड डॉ.रविकीर्ति के अनुसार इस आधार पर उम्मीद की जा सकती है कि यहां लोगों में हर्ड इम्युनिटी आ गई होगी. फिर भी सतर्कता जरूरी है क्योंकि हर्ड इम्युनिटी का मानक छू चुके कई देशों में देखा जा रहा है कि वहां लोग कोराना से संक्रमित हो रहे हैं.