जातिगत जनगणना कराने की बिहार की मांग खारिज, जानें क्या है केंद्र का फैसला?

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सिटी पोस्ट लाइव : जातिगत जनगणना कराये जाने की बिहार की मांग को केंद्र सरकार ने खारिज कर दिया है. लोकसभा में एक सवाल में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने ये साफ़ कर दिया है कि 2021 की जनगणना के साथ केंद्र सरकार केवल एससी-एसटी वर्ग के लोगों की गिनती कराने के पक्ष में है. जाहिर है जातिगत जनगणना कराये जाने के पक्ष में केंद्र नहीं है. केंद्र सरकार का यह फैसला राजद-जदयू समेत बिहार के लगभग सभी राजनीतिक दलों की भावनाओं के उलट है.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जातीय जनगणना (Caste Based Census) के पक्ष में बयान देते रहे हैं. लालू प्रसाद यादव भी जातीय जनगणना की मांग बराबर करते रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने कहा था कि जातीय आंकड़े की जनगणना इसलिए जरूरी है क्योंकि इससे हर तबके की तरक्की के लिए सही स्थिति स्पष्ट होगी.इधर हाल के महीनों में तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने भी जातीय जनगणना के मुद्दे को प्रमुखता के साथ उछाला है. लेकिन केंद्र सरकार ने इस मामले को लेकर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है. ऐसे में सरकार के फैसले से बिहार के राजनीतिक दलों को गहरा झटका लग सकता है.

राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने इसे लंबे अरसे तक मुद्दा बनाकर रखा था. बिहार की लगभग सभी सियासी पार्टियों ने यह मांग अपने स्तर पर बराबर जारी रखी. हाल के दिनों में तेजस्वी यादव इस मामले को लेकर काफी मुखर रहे हैं. बिहार विधान मंडल के दोनों सदनों द्वारा जाति आधारित जनगणना कराने के पक्ष में 2–2 बार सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा गया है. पहली बार 2019 में और फिर अगले साल 2020 में दोनों सदनों द्वारा इस तरह का प्रस्ताव भेजा गया है. यही नहीं दोनों सदनों में भाजपा के सदस्यों ने भी जातिगत जनगणना कराए जाने के पक्ष में अपना समर्थन दिया था.

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