सिटी पोस्ट लाइव: पटना जिला के डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह की अध्यक्षता में मंगलवार को हिंदी भवन में आयोजित बैठक में 30 करोड़ की राशि से बनने वाले तीनों कलस्टर के डीपीआर की स्वीकृति दी गयी है.पटना जिले में मुख्यमंत्री सूक्ष्म एवं लघु उद्योग क्लस्टर योजना के तहत तीन क्लस्टर का चयन किया गया है. इसमें एलईडी बल्ब क्लस्टर पटना सिटी, स्टील फर्नीचर क्लस्टर गुलजारबाग,लेदर इंडस्ट्रियल क्लस्टर फतुहा शामिल है. डीएम ने कहा कि चयनित किए जाने वाले प्रत्येक कलस्टर की अनुमानित लागत करीब 10 करोड़ है. इस क्लस्टर से गुणवत्तापूर्ण उत्पाद राज्य के लोगों को प्राप्त होगा.
डीएम के अनुसार इसमें विश्वस्तरीय मशीन, उच्च कोटि की गुणवत्ता वाली कच्चा माल और काम करने वाले कुशल श्रमिकों को कुशल प्रशिक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी. सभी क्लस्टर को बड़े बड़े औद्योगिक इकाइयों से प्रतिस्पर्धा में लाने की कोशिश की जायेगी. इससे सैकड़ों लोगों को रोजगार मिलेगा और साथ ही लोगों को कम लागत पर अच्छी सामग्री प्राप्त होगी. लोगों को उत्पाद के संबंध में जानकारी देने के लिए सामान्य सुविधा केंद्र की स्थापना की जाएगी. जिले के ग्रामीण इलाकों में हर घर नल का जल, ग्रामीण नली-गली पक्कीकरण योजना, हर घर बिजली, शौचालय आदि के संबंध में शिकायतें प्राप्त की जाएगी. इन शिकायतों का ऑन स्पॉट समाधान किया जाएगा.
पंचायत में आयोजित होने वाले कार्यक्रम की जानकारी जनप्रतिनिधियों के माध्यम से आम लोगों को मिलेगी. इसके साथ सरकारी के कर्मी विकास मित्र, आंगनबाड़ी सहायिका-सेविका घर-घर तक लोगों को जानकारी उपलब्ध कराएगी, ताकि अधिक से अधिक संख्या में लोगों को लाभ मिल सके.जिले के ग्रामीण इलाके में रहने वाले आम लोगों को सभी सरकारी योजनाओं का शत प्रतिशत लाभ मिलेगा. इसके लिए पटना जिला प्रशासन ने प्रशासन आपके द्वार कार्यक्रम चलाने का निर्णय लिया है.इसके तहत सभी 309 पंचायत में क्रमवार कार्यक्रम आयोजित होगा. अनुमंडल पदाधिकारी के नेतृत्व में प्रखंड विकास पदाधिकारी, अंचलाधिकारी सहित प्रखंड स्तरीय सभी टीम पंचायत में जाएगी. इसका उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में रहने वाले ऐसे लोग जो प्रखंड और जिला मुख्यालय तक नहीं पहुंच पाते हैं.
ऐसे लोगों के घरों तक प्रशासन की टीम पहुंचकर सरकारी योजनाओं के संबंध में जानकारी देने के साथ ऑन स्पॉट सामाधान करने की कोशिश करेगी. ऐसे मामले जिसका ऑन स्पॉट समाधान नहीं होगा. इन मामलों की सूची तैयार कर संबंधित पदाधिकारी को निश्चित समय सीमा के अंदर पूरा करने का टास्क दिया जाएगा. समस्या का समाधान करने के बाद शिकायत करने वाले लोगों को फोन सहित अन्य माध्यमों से जानकारी उपलब्ध करायी जाएगी.